आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का आगमन, जानें पूजा विधि
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि, हिंदू कैलेंडर के आषाढ़ महीने में मनाया जाने वाला नौ दिवसीय पर्व, 25 जून 2025 से शुरू होगा.
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शक्तिशाली रूपों को समर्पित
यह उत्सव देवी दुर्गा के गुप्त और शक्तिशाली रूपों को समर्पित है. गुप्त नाम इसलिए पड़ा क्योंकि इस दौरान साधना और अनुष्ठान गोपनीय और विवेकपूर्ण तरीके से किए जाते हैं.
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दस महाविद्याओं की साधना
यह नवरात्रि दस महाविद्याओं, यानी देवी के गुप्त और आध्यात्मिक रूपों, की पूजा पर केंद्रित है. यह सामान्य नवरात्रि से अलग है, जहां दुर्गा के नौ रूपों पर ध्यान दिया जाता है.
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कहां मनाया जाता है यह पर्व?
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि खास तौर पर पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में उत्साह से मनाई जाती है. भक्त इन नौ दिनों में सख्त उपवास, वैदिक मंत्रों का जाप और विशेष अनुष्ठान करते हैं.
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देवी दुर्गा के नौ रूप
गुप्त नवरात्रि में भी देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है. हालांकि इस नवरात्र के बारे में सभी को पता नहीं होता है.
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पूजा की सरल विधि
सुबह जल्दी उठें और सूर्योदय से पहले स्नान करें. इसके बाद घर की सफाई और गंगाजल छिड़ककर घर को शुद्ध करें. पूजा स्थल तैयार करके साफ कपड़े पर देवी की मूर्ति स्थापित करें. फिर पूजा करें.
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गुप्त नवरात्रि में साधना
इस दौरान मंदिर जाकर देवी का आशीर्वाद लेना उत्तम माना जाता है. यदि मंदिर जाना संभव न हो, तो घर पर ही श्रद्धापूर्वक पूजा करें. भक्तों का मानना है कि गुप्त नवरात्रि में साधना से मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
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आध्यात्मिक महत्व
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि भक्तों के लिए आध्यात्मिक उन्नति का अवसर है. यह पर्व न केवल भक्ति बल्कि आत्म-संयम और समर्पण का भी प्रतीक है. इन नौ दिनों में देवी की साधना से जीवन में सकारात्मकता और शक्ति का संचार होता है.
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