खीर, रोटी और फल; छठ पूजा के दूसरे दिन मनाया जा रहा खरना
खरना का महत्व
छठ पर्व का दूसरा दिन, जिसे खरना कहा जाता है, व्रतियों के लिए बेहद खास होता है. इस दिन व्रती पूरे दिन निर्जला उपवास रखते हैं और सूर्यास्त के बाद गंगा किनारे या घर के पवित्र स्थान पर खरना की पूजा करते हैं. इस पूजा के साथ ही 36 घंटे का कठिन निर्जला व्रत शुरू होता है.
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पवित्र प्रसाद का संदेश
खरना में गुड़ की खीर (रसियाव), पूरी और केले का प्रसाद बनाया जाता है. यह प्रसाद न केवल व्रती ग्रहण करते हैं, बल्कि इसे परिवार और पड़ोसियों में भी बांटा जाता है. इसे ग्रहण करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है और सामाजिक एकता का संदेश फैलता है.
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भक्ति और स्वच्छता का संगम
खरना की पूजा में स्थान की स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाता है. पूजा स्थल को साफ कर चारों ओर दीये जलाए जाते हैं. व्रती पूरी श्रद्धा के साथ सूर्यदेव और छठी मइया की आराधना करते हैं, जिससे वातावरण भक्तिमय हो उठता है.
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36 घंटे का कठिन व्रत
खरना के बाद व्रती 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू करते हैं, जो अगले दो दिनों तक चलता है. रविवार की शाम को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा और सोमवार की सुबह उदयमान सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन होगा.
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देश-विदेश में छठ की धूम
छठ पर्व अब केवल बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं है. दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और विदेशों में बसे भारतीय भी इसे पूरी श्रद्धा से मना रहे हैं. घाटों पर प्रशासन ने सफाई, रोशनी और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं.
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भक्ति और एकता का प्रतीक
महिलाओं के पारंपरिक गीतों से गूंजता छठ पर्व पर्यावरण प्रेम, सूर्य उपासना और पारिवारिक एकता का प्रतीक है. यह पर्व समाज में आस्था और ऊर्जा का संचार करता है, जो हर दिल को भक्ति से जोड़ता है.
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छठ का संदेश
छठ पर्व हमें प्रकृति के प्रति सम्मान और परिवार के साथ मिलकर उत्सव मनाने की प्रेरणा देता है. आइए, इस पवित्र पर्व को श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाएं और सूर्यदेव से सुख-शांति का आशीर्वाद मांगें.
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