आषाढ़ी एकादशी पूजा की विधि और शुभ मुहूर्त
देवशयनी एकादशी का महत्व
देवशयनी एकादशी, जिसे आषाढ़ी या हरि शयनी एकादशी भी कहते हैं, हिंदू धर्म में बेहद पवित्र है. यह चातुर्मास की शुरुआत का प्रतीक है. इस दिन भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं.
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तिथि और समय
पंचांग के अनुसार, एकादशी तिथि 5 जुलाई को शाम 6:58 बजे शुरू होगी. यह 6 जुलाई को रात 9:14 बजे खत्म होगी. व्रत पारण का समय 7 जुलाई को सुबह 5:29 से 8:16 बजे के बीच है. द्वादशी तिथि 7 जुलाई को रात 11:10 बजे समाप्त होगी. इन समयों का पालन जरूरी है.
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शुभ चौघड़िया मुहूर्त
पूजा और दान के लिए शुभ समय महत्वपूर्ण है. 6 जुलाई को लाभ मुहूर्त सुबह 8:57 से 10:42 बजे, अमृत मुहूर्त दोपहर 10:42 से 12:26 बजे और शुभ मुहूर्त दोपहर 2:10 से 3:54 बजे है. रात 8:39 से 9:54 बजे भी अमृत मुहूर्त है. 7 जुलाई को शुभ मुहूर्त सुबह 4:14 से 5:29 बजे है.
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क्यों खास है यह पर्व?
इस दिन भगवान विष्णु क्षीर सागर में शेषनाग पर निद्रा में जाते हैं. चार महीने बाद प्रबोधिनी एकादशी पर वे जागते हैं. इस दौरान ब्रह्मांडीय व्यवस्था का जिम्मा भगवान शिव संभालते हैं. यह व्रत पापों से मुक्ति और शांति दिलाता है. महाराष्ट्र में विट्ठल वारकरी पंढरपुर पहुंचकर भक्ति का उत्सव मनाते हैं.
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पूजा और व्रत की विधि
सुबह सूर्योदय से पहले स्नान करें. पीले या सफेद कपड़े पहनें. पूजा स्थल पर भगवान विष्णु या विट्ठल की मूर्ति स्थापित करें. घी का दीया जलाएं. तुलसी, पीले फूल और फल चढ़ाएं. एकादशी व्रत कथा पढ़ें या सुनें. आरती करें और प्रसाद बांटें.
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चातुर्मास का महत्व
चातुर्मास में विवाह जैसे शुभ कार्य स्थगित किए जाते हैं. भक्त तप, प्रार्थना और दान पर ध्यान देते हैं. यह आध्यात्मिक विकास का समय है. इस दौरान भक्ति और सादगी का पालन करें.
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भक्तों के लिए संदेश
देवशयनी एकादशी भक्ति और समर्पण का पर्व है. शुभ मुहूर्त में पूजा करें. व्रत नियमों का पालन करें. यह पर्व जीवन में शांति और समृद्धि लाता है. भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए इस दिन को पूरी श्रद्धा से मनाएं.
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