स्वर्ग से देवता गंगा घाटों पर उतरकर मनाते हैं देव दिवाली
कार्तिक पूर्णिमा
दिवाली पृथ्वी पर त्योहारों का समापन लगती है, मगर हिंदू मान्यताओं में यह उत्सव स्वर्ग तक फैलता है और कार्तिक पूर्णिमा के रूप में देवताओं की दिवाली बन जाता है.
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दीपों की रोशनी
इस खास पूर्णिमा को देव दीपावली नाम इसलिए मिला क्योंकि रात भर गंगा किनारे देवता स्वयं दीपों की रोशनी में नहाते हैं.
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त्रिपुरासुर राक्षस का संहार
पौराणिक कथा बताती है कि भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस का संहार कर तीनों लोकों से अंधकार मिटाया, इसी जीत की खुशी में देवताओं ने आकाश को जगमगाया था.
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मुरुगन के जन्मोत्सव
कई ग्रंथों में यह दिन कार्तिकेय (मुरुगन) के जन्मोत्सव से भी जुड़ा है, जो शक्ति और शुद्धता के प्रतीक हैं.
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विजय और पुनर्जनन का पर्व
मानव दिवाली राम की अयोध्या वापसी का प्रतीक है, जबकि देव दीपावली देवताओं की विजय और पुनर्जनन का पर्व बनती है.
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विष्णु-शिव की आराधना
भक्त गंगा तट पर दीये छोड़ते हैं, विष्णु-शिव की आराधना करते हैं और मानते हैं कि नदी का जल जन्म-जन्म के पाप धो देता है.
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दिव्य ऊर्जा
वैदिक मंत्रों की गूंज और पुजारियों की आरती से पूरा वातावरण दिव्य ऊर्जा से भर जाता है.
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स्वच्छ हवा
कार्तिक पूर्णिमा मानसून के बाद की स्वच्छ हवा में आती है, जब दिन की धूप तेज और रात की चांदनी मोतियों सी चमकती है.
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अराजकता के बाद शांति
यह पर्व अंधेरे के बाद प्रकाश और अराजकता के बाद शांति का संदेश देता है
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