भगवान काल भैरव ने क्यों काटा था ब्रह्मा जी का सिर, शिव के इस रूप का क्या है सत्य?
काल भैरव
इस साल काल भैरव जयंती आज यानि मंगलवार को मनाया जा रहा है.
काल भैरव
पुरानी मान्यता है कि, भगवान शिव के इस रूप यानि काल भैरव की पूजा करने से सुख-समृद्धि आती है.
काल भैरव
जबकि शास्त्रों में ऐ बताया गया है कि, काल भैरव असीम शक्तियों के देवता कहे जाते हैं. भगवान के इस रूप की पूजा से अकाल मृत्यु का भय नष्ट हो जाता है.
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मगर बहुत लोग नहीं जानते होंगे की काल भैरव का संबंध भगवान शिव से कैसे है.
काल भैरव
काल भैरव के जन्म के बारे में बताएं तो, पौराणिक कथा के मुताबिक, एक बार भगवान शिव, ब्रह्मा एवं विष्णु जी के बीच इस बात को लेकर विचार किया जा रहा था कि, आखिर तीनों में अधिक श्रेष्ठ कौन है?
काल भैरव
इस बात पर विवाद से लेकर विचार-विमर्श करने के बाद भी इसका समाधान नहीं निकल सका. देवताओं ने अपने-अपने विचार सामने रखें. जिसके बाद जो निष्कर्ष सामने आया उससे भगवान विष्णु व शिव जी तो खुश थे. मगर ब्रह्मा जी संतुष्ट नहीं हुए.
काल भैरव
जिसके बाद उन्होंने गुस्से में आकर शिवजी को बुरा-भला सुना दिया. सारे देवताओं के मध्य ब्रह्मा जी द्वारा अपशब्द सुने जाने पर शिवजी को अपना अपमान सहन नहीं हुआ. जिस बात पर उन्हें भी क्रोध आ गया और इसी क्रोध से काल भैरव की उत्पत्ति हो गई.
काल भैरव
बात यहां खत्म नहीं हुई काल भैरव ने क्रोध में आकर ब्रह्मा जी के पांच मुख में एक को काट कर अलग कर डाला. शिव पुराण में लिखा है कि, इस घटना के बाद से ही ब्रह्मा जी के चार मुख हैं. मगर इससे पहले उनके पांच मुख थे.
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