छठ पूजा में व्रत टूट जाए तो क्या करें? जानें प्रायश्चित का सही तरीका
छठ पूजा का पवित्र महत्व
छठ पूजा सिर्फ़ एक त्योहार नहीं, बल्कि सूर्य देव और छठी मैया के प्रति अटूट आस्था का प्रतीक है. चार दिनों तक चलने वाला यह पर्व नहाय खाय से शुरू होकर उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ पूरा होता है. यह तन, मन और आत्मा को शुद्ध करने का अनूठा अवसर है.
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36 घंटे का निर्जला व्रत
छठ पूजा का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है 36 घंटे का निर्जला व्रत, जो बिना पानी के रखा जाता है. यह व्रत भक्तों की सहनशक्ति और आध्यात्मिक एकाग्रता की परीक्षा है. डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद ही यह व्रत पूरा होता है.
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अगर व्रत टूट जाए तो?
कभी-कभी बीमारी, कमज़ोरी या अप्रत्याशित कारणों से व्रत टूट सकता है. घबराएँ नहीं! छठी मैया दयालु माँ हैं, जो भक्तों की गलतियों को माफ़ करती हैं. सबसे ज़रूरी है आपकी सच्ची भक्ति और भाव.
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प्रायश्चित का पारंपरिक तरीका
सबसे पहले स्नान कर शरीर को शुद्ध करें. फिर छठी मैया के सामने दीया जलाएं और सच्चे मन से क्षमा मांगें. इसके बाद छठ मंत्र का जाप करें या साधारण प्रार्थना करें. साथ ही भोजन, वस्त्र या फल दान करें. मन को शांत करने के लिए परिवार के बुजुर्ग या पुजारी से मार्गदर्शन लें.
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क्या व्रत फिर से शुरू हो सकता है?
हां! परंपराएं कहती हैं कि अगले दिन नया संकल्प लेकर व्रत फिर से शुरू किया जा सकता है. छठी मैया पूर्णता नहीं, बल्कि आपकी नीयत और ईमानदारी को देखती हैं.
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छठी मैया की असीम कृपा
छठी मैया को एक करुणामयी मां माना जाता है, जो अपने भक्तों को कभी दंड नहीं देती. जैसे सूर्य का प्रकाश सभी को रोशनी देता है, वैसे ही छठी मैया की कृपा सच्चे भक्तों पर हमेशा बनी रहती है.
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