क्या है रेपो रेट? इसे घटने-बढ़ने से कैसे पड़ेगा जेब पर असर
अमेरिकी राष्ट्रपति
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा शुरू किए गए टैरिफ का असर पूरे वैश्विक बाजार में देखने को मिली.
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बड़ी घोषणा की उम्मीद
इसी बीच आज RBI द्वारा रेपो रेट को लेकर कोई बड़ी घोषणा की उम्मीद की जा रही है.
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वाणिज्यिक बैंकों के लिए लोन
रेपो रेट (Repo Rate) वाणिज्यिक बैंकों के लिए लोन के ब्याज दर की तरह का काम करता है.
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समय सीमा के हिसाब से इंटरेस्ट
रेपो रेट बताता है कि किसी भी बैंक को आरबीआई किस इंटरेस्ट पर लोन देगा. इस लोन को एक समय सीमा के हिसाब से दिया जाता है.
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कम ब्याज दर पर लोन
अगर बैंकों को कम ब्याज दर पर लोन मिल जाता है, तो वे आम आदमी को भी कम ब्याज दर पर लोन ऑफर कर सकते हैं.
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हाई रेट पर लोन
वहीं अगर खुद बैंक को आरबीआई से हाई रेट पर लोन मिलता है तो वो आम जनता को भी हाई रेट पर ही लोन देगा.
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फलोटिंग इंटरेस्ट रेट
इसके अलावा फिक्सड डिपॉजिट में मिलने वाला फलोटिंग इंटरेस्ट रेट का भी इस पर असर पड़ता है.
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फिक्स और फलोटिंग
बैंक हर व्यक्ति को दो अलग-अलग ब्याज दर फिक्स और फलोटिंग पर लोन ऑफर करता है.
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मौद्रिक समिति की बैठक
हर दो महीने बाद मौद्रिक समिति की बैठक आयोजित करती है, जिसमें रेपो रेट और अन्य वित्तीय संबंधित निर्णय लिए जाते हैं.
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