सत्यजीत रे के बाद किसी को नहीं मिला 'मानद ऑस्कर'
1992 में अंतिम सांस
भारतीय सिनेमा के महानायक सत्यजीत रे ने आज के दिन ही 1992 में अंतिम सांस ली थी.
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चलता-फिरता संस्थान
भारतीय सिनेमा को एक अलग नजरिया देने वाले ऑस्कर विजेता निर्देशक को सिनेमा का चलता-फिरता संस्थान कहा जाता है.
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बेहतरीन मार्गदर्शक
सामाजिक मुद्दों, राजनीति और महिलाओं पर आधारित फिल्में बनाना रे की खासियत थी. आज भी उनकी फिल्में सिनेमा के छात्रों के लिए एक बेहतरीन मार्गदर्शक का काम करती हैं.
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लेखक, कलाकार, चित्रकार, फिल्म निर्माता
सत्यजीत रे मशहूर निर्देशक होने के साथ-साथ एक बेहतरीन लेखक, कलाकार, चित्रकार, फिल्म निर्माता, गीतकार और बुक कवर डिजाइनर और कॉस्ट्यूम डिजाइनर भी थे.
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पाथेर पांचाली
उन्होंने अपनी पहली फिल्म पाथेर पांचाली से फिल्मों के प्रति लोगों का नजरिया बदल दिया.
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ऑस्कर मानद पुरस्कार
सत्यजीत रे की निर्देशन क्षमता और फिल्मों को लेकर उनकी अद्भुत सोच की वजह से उन्हे मृत्युशय्या पर ऑस्कर मानद पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
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37 राष्ट्रीय पुरस्कार
वह आज भी यह पुरस्कार जीतने वाले एकमात्र भारतीय हैं. इसके अलावा रे को दादा साहब फाल्के पुरस्कार समेत रिकॉर्ड 37 राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं.
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महिलाओं पर आधारित फिल्में
सत्यजीत रे ने 50 और 60 के दशक में महिलाओं पर आधारित फिल्में बनाईं और अपनी फिल्मों में मजबूत महिला पात्रों को दिखाया.
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भावनाओं से भरपूर फिल्म
सत्यजीत रे की फिल्मों में मानवीय भावनाओं और रिश्तों का महत्व प्रमुखता से देखने को मिलेगा. अपनी फिल्मों के माध्यम से उन्होंने प्रेम, दुख, आशा और निराशा जैसी भावनाओं को दर्शाया है.
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