Urdu Shayari : आरज़ू है कि तू यहाँ आए,,और फिर उम्र भर न जाए कहीं


2024/04/06 13:57:34 IST

बशीर बद्र

    न जी भर के देखा न कुछ बात की, बड़ी आरज़ू थी मुलाक़ात की

Credit: pinterest

मिर्ज़ा ग़ालिब

    हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले, बहुत निकले मिरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले

Credit: pinterest

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

    नहीं निगाह में मंज़िल तो जुस्तुजू ही सही, नहीं विसाल मयस्सर तो आरज़ू ही सही

Credit: pinterest

नासिर काज़मी

    आरज़ू है कि तू यहाँ आए,,और फिर उम्र भर न जाए कहीं

Credit: pinterest

कैफ़ी आज़मी

    इंसाँ की ख़्वाहिशों की कोई इंतिहा नहीं, दो गज़ ज़मीं भी चाहिए दो गज़ कफ़न के बाद

Credit: pinterest

जौन एलिया

    जान-लेवा थीं ख़्वाहिशें वर्ना, वस्ल से इंतिज़ार अच्छा था

Credit: freepik

असरार-उल-हक़ मजाज़

    मुझ को ये आरज़ू वो उठाएँ नक़ाब ख़ुद, उन को ये इंतिज़ार तक़ाज़ा करे कोई

Credit: pinterest

View More Web Stories