बदन के दोनों किनारों से जल रहा हूँ मैं, पढ़िए इरफ़ान सिद्दीक़ी के चुनिंदा शेर
ख़याल
मगर गिरफ़्त में आता नहीं बदन उस का, ख़याल ढूँढता रहता है इस्तिआरा कोई
Credit: social media
दिल
हमारे दिल को इक आज़ार है ऐसा नहीं लगता,कि हम दफ़्तर भी जाते हैं ग़ज़ल-ख़्वानी भी करते हैं
Credit: social media
सवाल
कहा था तुम ने कि लाता है कौन इश्क़ की ताब,सो हम जवाब तुम्हारे सवाल ही के तो हैं
Credit: freepik
बग़ैर
हम ने देखा ही था दुनिया को अभी उस के बग़ैर, लीजिए बीच में फिर दीदा-ए-तर आ गए हैं
Credit: social media
जलाना
शोला-ए-इश्क़ बुझाना भी नहीं चाहता है,वो मगर ख़ुद को जलाना भी नहीं चाहता है
Credit: social media
दीवार
रूह को रूह से मिलने नहीं देता है बदन, ख़ैर ये बीच की दीवार गिरा चाहती है
Credit: social media
फ़ैसले
मैं चाहता हूँ यहीं सारे फ़ैसले हो जाएँ, कि इस के बअद ये दुनिया कहाँ से लाऊँगा मैं
Credit: freepik
View More Web Stories