Urdu Shayari:हम कि मायूस नहीं हैं उन्हें पा ही लेंगे,लोग कहते हैं कि ढूँडे से ख़ुदा मिलता है
हातिम अली मेहर
दर-ब-दर मारा-फिरा मैं जुस्तुजू-ए-यार में, ज़ाहिद-ए-काबा हुआ रहबान-ए-बुत-ख़ाना हुआ
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ख़ान रिज़वान
उम्र-ए-रफ़्ता जा किसी दीवार के साए में बैठ,बे-सबब की ख़्वाहिशें हैं और घर की जुस्तुजू
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हसरत अज़ीमाबादी
मोहब्बत एक तरह की निरी समाजत है,मैं छोड़ूँ हूँ तिरी अब जुस्तुजू हुआ सो हुआ
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महफूजुर्रहमान आदिल
मुझ को शौक़-ए-जुस्तुजू-ए-काएनात,ख़ाक से आदिल ख़ला तक ले गया
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असर सहबाई
जिस हुस्न की है चश्म-ए-तमन्ना को जुस्तुजू,वो आफ़्ताब में है न है माहताब में
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हैदर अली आतिश
मिरी तरह से मह-ओ-महर भी हैं आवारा,किसी हबीब की ये भी हैं जुस्तुजू करते
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जुनैद हज़ीं लारी
तिरी तलाश में निकले तो इतनी दूर गए,कि हम से तय न हुए फ़ासले जुदाई के
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