Urdu Shayari:हम कि मायूस नहीं हैं उन्हें पा ही लेंगे,लोग कहते हैं कि ढूँडे से ख़ुदा मिलता है 
                        
                        
                     
                
            
            
            
                                
                                                    
                                
                            
                        
                        
                            
                                
                                     हातिम अली मेहर
                                
                                
                                    दर-ब-दर मारा-फिरा मैं जुस्तुजू-ए-यार में, ज़ाहिद-ए-काबा हुआ रहबान-ए-बुत-ख़ाना हुआ 
                             
                        
                        
                        
                            
                                                        Credit: Social Media
                                                    
                    
                                    
                                                    
                                
                            
                        
                        
                            
                                
                                     ख़ान रिज़वान
                                
                                
                                    उम्र-ए-रफ़्ता जा किसी दीवार के साए में बैठ,बे-सबब की ख़्वाहिशें हैं और घर की जुस्तुजू 
                             
                        
                        
                        
                            
                                                        Credit: Social Media
                                                    
                    
                                    
                                                    
                                
                            
                        
                        
                            
                                
                                     हसरत अज़ीमाबादी
                                
                                
                                    मोहब्बत एक तरह की निरी समाजत है,मैं छोड़ूँ हूँ तिरी अब जुस्तुजू हुआ सो हुआ 
                             
                        
                        
                        
                            
                                                        Credit: Social Media
                                                    
                    
                                    
                                                    
                                
                            
                        
                        
                            
                                
                                     महफूजुर्रहमान आदिल
                                
                                
                                    मुझ को शौक़-ए-जुस्तुजू-ए-काएनात,ख़ाक से आदिल ख़ला तक ले गया 
                             
                        
                        
                        
                            
                                                        Credit: Social Media
                                                    
                    
                                    
                                                    
                                
                            
                        
                        
                            
                                
                                     असर सहबाई
                                
                                
                                    जिस हुस्न की है चश्म-ए-तमन्ना को जुस्तुजू,वो आफ़्ताब में है न है माहताब में 
                             
                        
                        
                        
                            
                                                        Credit: Social Media
                                                    
                    
                                    
                                                    
                                
                            
                        
                        
                            
                                
                                     हैदर अली आतिश
                                
                                
                                    मिरी तरह से मह-ओ-महर भी हैं आवारा,किसी हबीब की ये भी हैं जुस्तुजू करते 
                             
                        
                        
                        
                            
                                                        Credit: Social Media
                                                    
                    
                                    
                                                    
                                
                            
                        
                        
                            
                                
                                     जुनैद हज़ीं लारी
                                
                                
                                    तिरी तलाश में निकले तो इतनी दूर गए,कि हम से तय न हुए फ़ासले जुदाई के 
                             
                        
                        
                        
                            
                                                        Credit: Social Media
                                                    
                    
                
                            
                    
                        
                    
                    
                        
                            
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