Urdu Shayari: ओ आँख चुरा के जाने वाले, हम भी थे कभी तिरी नज़र में


2024/09/12 14:14:56 IST

आबरू शाह मुबारक

    मैं दर-गुज़रा साहिब-सलामत से भी, ख़ुदा के लिए इतना बरहम न हो

Credit: freepik

आबरू शाह मुबारक

    तुम्हारे दिल में क्या ना-मेहरबानी आ गई ज़ालिम,कि यूँ फेंका जुदा मुझ से फड़कती मछली को जल सीं

Credit: freepik

वहशत रज़ा अली कलकत्वी

    वहशत उस बुत ने तग़ाफ़ुल जब किया अपना शिआर,काम ख़ामोशी से मैं ने भी लिया फ़रियाद का

Credit: freepik

बेख़ुद देहलवी

    पढ़े जाओ बेख़ुद ग़ज़ल पर ग़ज़ल,वो बुत बन गए हैं सुने जाएँगे

Credit: freepik

माहिर-उल क़ादरी

    सुनाते हो किसे अहवाल माहिर,वहाँ तो मुस्कुराया जा रहा है

Credit: freepik

बेख़ुद देहलवी

    उन्हें तो सितम का मज़ा पड़ गया है,कहाँ का तजाहुल कहाँ का तग़ाफ़ुल

Credit: सोशल मीडिया

View More Web Stories