Urdu Shayari: मेरे दिल ओ दिमाग़ पे छाए हुए हो तुम,ज़र्रे को आफ़्ताब बनाए हुए हो तुम
जमाल एहसानी
तेरे ख़याल में कभी इस तरह खो गए,तेरा ख़याल भी हमें अक्सर नहीं रहा
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शख़ावत शमीम
जाँ-ब-लब लम्हा-ए-तस्कीं मिरी क़िस्मत है शमीम,बे-ख़ुदी फिर मुझे दीवाना बनाती क्यूँ है
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सिराज औरंगाबादी
किया है जब सीं अमल बे-ख़ुदी के हाकिम ने,ख़िरद-नगर की रईयत हुई है रू ब-गुरेज़
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मिर्ज़ा अली लुत्फ़
यही तो कुफ़्र है यारान-ए-बे-ख़ुदी के हुज़ूर,जो कुफ़्र-ओ-दीं का मिरे यार इम्तियाज़ रहा
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रज़ा हमदानी
पास-ए-आदाब-ए-वफ़ा था कि शिकस्ता-पाई,बे-ख़ुदी में भी न हम हद से गुज़रने पाए
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मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी
मेरे और यार के पर्दा तो नहीं कुछ लेकिन,बे-ख़ुदी बीच में दीवार हुआ चाहती है
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हैदर अली आतिश
पा-ब-गिल बे-ख़ुदी-ए-शौक़ से मैं रहता था,कूचा-ए-यार में हालत मिरी दीवार की थी
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