गुरु दत्त के ये सदाबहार गाने, जो आज भी दिलों को छूते हैं
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है
प्यासा फिल्म का यह गाना गुरु दत्त की बेमिसाल कला का प्रतीक है. एक कवि की निराशा और समाज से मोहभंग को दर्शाता यह गीत आज भी जिंदगी की सच्चाई को उजागर करता है. साहिर लुधियानवी के बोल और एस.डी. बर्मन का संगीत इसे अमर बनाते हैं.
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जाने वो कैसे लोग थे जिनके प्यार की दुनिया थी
प्यासा का एक और रत्न, यह गीत प्रेम की तलाश और जीवन के कड़वे सच को बयां करता है. गुरु दत्त का भावपूर्ण अभिनय और मोहम्मद रफी की आवाज इसे हर दिल तक पहुंचाती है.
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देखी जमानें की यारी, बिछड़े सबही बारी बारी
रिश्तों की नाजुकता को दर्शाता यह गीत गुरु दत्त की जिंदगी से प्रेरित लगता है. प्यासा का यह गाना दोस्ती और विश्वास के टूटने की कहानी को भावुक अंदाज में पेश करता है.
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वक्त ने किया क्या हसीं सितम
कागज के फूल का यह गीत खोए हुए प्यार की उदासी को बखूबी बयां करता है. गीता दत्त की मखमली आवाज और गुरु दत्त की गहरी भावनाएं इसे एक मार्मिक अनुभव बनाती हैं.
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न जाओ सैयां छोड़ के
साहिब बीबी और गुलाम में मीना कुमारी की बेबसी को दर्शाता यह गीत प्रेम और अकेलेपन की पुकार है. गीता दत्त की आवाज इसे और भी हृदयस्पर्शी बनाती है.
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कोई दूर से आवाज दे चले आए
रात की खामोशी और एक अकेली औरत की बेचैनी को यह गीत बखूबी उकेरता है. साहिब बीबी और गुलाम में मीना कुमारी के अभिनय के साथ यह गीत अमर हो गया.
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चौदहवीं का चांद हो
रोमांस का प्रतीक यह गीत गुरु दत्त की फिल्म चौदहवीं का चांद का गहना है. प्रेमी की अपनी प्रेयसी की तारीफ में कही गई यह पंक्तियां आज भी प्रेमियों की जुबान पर हैं.
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सुन री सखी
वहीदा रहमान की सादगी और प्रेम की उलझनों को बयां करता यह गीत कागज के फूल का हिस्सा है. मोहम्मद रफी की मधुर आवाज इसे और खास बनाती है.
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प्रीतम आन मिलो
मधुबाला के अभिनय से सजा यह गीत पति की प्रतीक्षा में व्याकुल नारी के भावों को दर्शाता है. मिस्टर एंड मिसेज 55 का यह गाना आज भी उतना ही जीवंत है.
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