भारत में तेजी से बढ़ रहा ओरल कैंसर, जानें इसके लक्षण
तंबाकू और ओरल कैंसर का गहरा नाता
भारत में ओरल कैंसर के 80% से अधिक मामलों का कारण तंबाकू है, खासकर गुटखा, खैनी और पान जैसे धुआं रहित तंबाकू है.
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इसे रोकना संभव
जेसीओ ग्लोबल ऑन्कोलॉजी के एक अध्ययन के अनुसार, तंबाकू का सेवन इस जानलेवा बीमारी का सबसे बड़ा जोखिम कारक है. लेकिन अच्छी खबर यह है कि समय रहते इसे रोका जा सकता है.
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युवाओं में बढ़ता खतरा
ओरल कैंसर अब केवल बुजुर्गों की बीमारी नहीं रही. डॉक्टर बताते हैं कि 5-10 साल तक गुटखा या चबाने वाले तंबाकू का सेवन करने वाले युवा भी इसकी चपेट में आ रहे हैं.
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नजरअंदाज करना पड़ेगा भारी
नुकसान जल्दी शुरू होता है, जिसे लोग अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं. इन लक्षणों पर सही समय पर ध्यान देने से इससे बचा जा सकता है.
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न लक्षणों को न करें नजरअंदाज
ओरल कैंसर के शुरुआती संकेतों में मसूड़ों, जीभ या गालों पर सफेद/लाल धब्बे, चबाने, निगलने या जीभ हिलाने में परेशानी और गाल में गांठ, दांतों का ढीला होना या मुंह में सुन्नपन शामिल हैं.
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दो सप्ताह से ज्यादा नहीं
डॉक्टर सलाह देते हैं कि अगर ये लक्षण दो सप्ताह से ज्यादा रहें, तो तुरंत जांच करवाएं.
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सबसे ज्यादा जोखिम में कौन?
30 से 60 साल के पुरुष, खासकर ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में, सबसे ज्यादा जोखिम में हैं. नेशनल ओरल कैंसर रजिस्ट्री के मुताबिक, उत्तरी और पूर्वोत्तर राज्यों में धुआं रहित तंबाकू का चलन ज्यादा है.
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बचाव है संभव
तंबाकू छोड़ना ओरल कैंसर से बचाव का सबसे प्रभावी तरीका है. जैसे ही आप तंबाकू छोड़ते हैं, शरीर खुद को ठीक करना शुरू कर देता है. शुरुआती जांच और समय पर उपचार से ज्यादातर मामले रोके जा सकते हैं.
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जागरूकता है जरूरी
सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ स्कूलों और कॉलेजों में जागरूकता अभियान चलाने की सलाह देते हैं ताकि युवा तंबाकू की लत से बचें. तंबाकू उत्पादों पर चेतावनी के बावजूद, अधिक प्रभावी और प्रत्यक्ष स्वास्थ्य संदेशों की जरूरत है.
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