ईरान पर बी-2 स्टील्थ बॉम्बर से हमला, जानें इसकी खासियत
ऐतिहासिक हमला
अमेरिका ने अपने बी-2 स्पिरिट स्टील्थ बॉम्बर को ईरान की प्रमुख परमाणु सुविधाओं, खासकर फोर्डो संवर्धन स्थल पर हमला करने के लिए तैनात किया. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इसे बहुत सफल हमला बताया. यह ऑपरेशन बी-2 की अद्वितीय क्षमताओं का शानदार प्रदर्शन था.
Credit: Social Media
बी-2 स्पिरिट क्या है?
बी-2 स्पिरिट कोई साधारण विमान नहीं. शीत युद्ध के दौरान नॉर्थ्रॉप ग्रुम्मन द्वारा निर्मित, यह स्टील्थ बॉम्बर दुश्मन के क्षेत्र में गहरे हमले के लिए डिज़ाइन किया गया है.
Credit: Social Media
फोर्डो पर हमले का हथियार
बी-2 ने फोर्डो पर GBU-57A/B मैसिव ऑर्डनेंस पेनेट्रेटर (MOP) का उपयोग किया. बी-2 ही इस बंकर-बस्टर बम को ले जाने में सक्षम है. जो की 60 मीटर गहराई तक प्रवेश कर विस्फोट कर सकता है.
Credit: Social Media
बी-2 की घातक क्षमता
बी-2 की वैश्विक पहुंच और विनाशकारी शक्ति इसे अनूठा बनाती है. ये बिना ईंधन भरे 11,000 किमी तक जा सकती है. GPS-निर्देशित JDAM, JASSM क्रूज मिसाइलें, और JSOW ग्लाइड बम जैसी लंबी दूरी की क्रूज मिसाइलें पहुंचा सकता है.
Credit: Social Media
फोर्डो - ईरान का अभेद्य किला
फोर्डो, ईरान का सबसे मजबूत परमाणु स्थल, एक पहाड़ के 80-90 मीटर नीचे बना है. इसे नियमित बमों से नष्ट करना असंभव है. केवल बी-2 और MOP ही इसे भेद सकते हैं.
Credit: Social Media
ऑपरेशन का महत्व
यह हमला बी-2 के डिज़ाइन का सटीक उदाहरण था. जिसमें अमेरिका बिना पकड़े दुश्मन क्षेत्र में प्रवेश किया. साथ ही गढ़वाले लक्ष्यों को नष्ट भी किया.
Credit: Social Media
बिना निशान छोड़े वापसी
अमेरिका ने इस मिशन के जरिए अपनी सैन्य श्रेष्ठता और तकनीकी ताकत का प्रदर्शन किया.
Credit: Social Media
वैश्विक प्रतिक्रिया
ईरान ने हमले को गैरकानूनी बताया और जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी. अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने कहा कि साइट के बाहर रेडिएशन में कोई वृद्धि नहीं हुई. इज़रायल ने इस हमले का स्वागत किया, जबकि कुछ अमेरिकी सांसदों ने इसे युद्ध में उलझने का जोखिम बताया.
Credit: Social Media
View More Web Stories