क्या है होर्मुज स्ट्रेट? भारत और वैश्विक तेल आपूर्ति पर क्या होगा असर?


2025/06/23 13:48:04 IST

होर्मुज जलडमरूमध्य क्यों है अहम?

    होर्मुज जलडमरूमध्य दुनिया के तेल व्यापार की रीढ़ है. यह फारस की खाड़ी को अरब सागर से जोड़ता है. वैश्विक तेल का करीब 20% हिस्सा यहीं से गुजरता है. ईरान-इज़रायल तनाव और अमेरिकी हमलों के बाद ईरान ने इसे बंद करने की धमकी दी है. इसका भारत और दुनिया पर बड़ा असर हो सकता है.

Credit: Social Media

भारत की तेल आपूर्ति पर प्रभाव

    भारत प्रतिदिन 5.5 मिलियन बैरल कच्चा तेल आयात करता है. इसमें से 2 मिलियन बैरल होर्मुज जलडमरूमध्य के रास्ते आता है. इराक और सऊदी अरब जैसे देश, जो इस मार्ग का इस्तेमाल करते हैं, भारत के लिए अहम हैं. बंदी से इनकी आपूर्ति बाधित हो सकती है. हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को बड़ा नुकसान नहीं होगा.

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भारत की वैकल्पिक रणनीति

    भारत ने तेल आयात के लिए कई विकल्प तैयार किए हैं. रूस, भारत का बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता, स्वेज नहर और केप ऑफ गुड होप जैसे मार्गों का उपयोग करता है. कतर, जो भारत को गैस सप्लाई करता है, होर्मुज पर निर्भर नहीं है. ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका से भी एलएनजी आयात होता है. यह विविधता भारत को संकट से बचाएगी.

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होर्मुज जलडमरूमध्य क्या है?

    होर्मुज जलडमरूमध्य ईरान और खाड़ी देशों के बीच 33 किमी चौड़ा समुद्री मार्ग है. इसका शिपिंग लेन सिर्फ 3 किमी चौड़ा है. यह सऊदी अरब, यूएई, कुवैत और कतर जैसे देशों के तेल निर्यात का मुख्य रास्ता है. बंदी से वैश्विक तेल आपूर्ति ठप हो सकती है.

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ईरान का रुख और वैश्विक चिंता

    ईरान ने अमेरिकी हमलों के जवाब में होर्मुज बंद करने की धमकी दी है. विदेश मंत्री सईद अब्बास अराघची ने कहा, हमारे पास कई विकल्प हैं. ईरानी संसद ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दी है. अमेरिका ने इसे आर्थिक आत्महत्या बताया. ईरान का सहयोगी चीन, जो इसका सबसे बड़ा तेल खरीदार है, भी प्रभावित होगा.

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वैश्विक तेल बाजार पर असर

    होर्मुज बंद होने से तेल की कीमतें 100-150 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती हैं. इससे वैश्विक महंगाई बढ़ेगी. शिपिंग लागत और बीमा प्रीमियम में उछाल आएगा. वैकल्पिक पाइपलाइनें सिर्फ 2.6 मिलियन बैरल ही संभाल सकती हैं, जो अपर्याप्त है.

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भारत की तैयारियां

    पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने आश्वासन दिया कि भारत की तेल आपूर्ति सुरक्षित है. भारत के पास 74 दिनों का तेल भंडार और 9.5 दिनों का रणनीतिक भंडार है. तेल कंपनियों के पास कई हफ्तों का स्टॉक है. सरकार स्थिति पर नजर रख रही है.

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