दर्द पर लिखे गुलजार के बेहतरीन शेर....
आप ने औरों से कहा
आप ने औरों से कहा सब कुछ, हम से भी कुछ कभी कहीं कहते
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फिर वहीं लौट के
फिर वहीं लौट के जाना होगा, यार ने कैसी रिहाई दी है
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राख को भी कुरेद कर
राख को भी कुरेद कर देखो, अभी जलता हो कोई पल शायद
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ज़ख़्म कहते हैं
ज़ख़्म कहते हैं दिल का गहना है, दर्द दिल का लिबास होता है
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वो उम्र कम कर
वो उम्र कम कर रहा था मेरी, मैं साल अपने बढ़ा रहा था
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यादों की बौछारों से
यादों की बौछारों से जब पलकें भीगने लगती हैं, सोंधी सोंधी लगती है तब माज़ी की रुस्वाई भी
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रुके रुके से क़दम
रुके रुके से क़दम रुक के बार बार चले, क़रार दे के तिरे दर से बे-क़रार चले
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