दर्द पर लिखे गुलजार के बेहतरीन शेर....


2024/06/10 21:25:47 IST

आप ने औरों से कहा

    आप ने औरों से कहा सब कुछ, हम से भी कुछ कभी कहीं कहते

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फिर वहीं लौट के

    फिर वहीं लौट के जाना होगा, यार ने कैसी रिहाई दी है

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राख को भी कुरेद कर

    राख को भी कुरेद कर देखो, अभी जलता हो कोई पल शायद

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ज़ख़्म कहते हैं

    ज़ख़्म कहते हैं दिल का गहना है, दर्द दिल का लिबास होता है

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वो उम्र कम कर

    वो उम्र कम कर रहा था मेरी, मैं साल अपने बढ़ा रहा था

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यादों की बौछारों से

    यादों की बौछारों से जब पलकें भीगने लगती हैं, सोंधी सोंधी लगती है तब माज़ी की रुस्वाई भी

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रुके रुके से क़दम

    रुके रुके से क़दम रुक के बार बार चले, क़रार दे के तिरे दर से बे-क़रार चले

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