जानिए धनतेरस का महत्व, कथा और अनुष्ठान
धनतेरस की शुरुआत
रोशनी का पर्व दिवाली धनतेरस के साथ शुरू होता है. यह शुभ दिन कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाता है. धन और समृद्धि की देवी लक्ष्मी को समर्पित यह दिन पूरे भारत में उत्साह के साथ मनाया जाता है.
Credit: AI (Grok)
धनतेरस का अर्थ
धन यानी संपदा और तेरस यानी तेरहवाँ दिन. धनतेरस का नाम इन्हीं दो शब्दों से मिलकर बना है. मान्यता है कि इस दिन देवी लक्ष्मी समुद्र मंथन के दौरान प्रकट हुई थीं. यह दिन सौभाग्य और प्रचुरता का प्रतीक है.
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पौराणिक कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे. इसलिए, यह दिन स्वास्थ्य और कल्याण के लिए भी विशेष माना जाता है. भक्त इस दिन दीर्घायु और समृद्धि की कामना करते हैं.
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अनुष्ठान और परंपराएं
धनतेरस पर घरों की सफाई और सजावट की जाती है. लोग अपने घरों के प्रवेश द्वार पर दीये जलाते हैं ताकि नकारात्मकता दूर हो और सकारात्मक ऊर्जा का स्वागत हो. सोना, चाँदी या बर्तन खरीदना भी इस दिन की प्रमुख परंपरा है.
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लक्ष्मी पूजा का महत्व
शाम के समय भक्त लक्ष्मी पूजा करते हैं. मिठाई, फूल और सिक्कों के साथ देवी लक्ष्मी की अराधना की जाती है. यह पूजा धन, समृद्धि और सुख के लिए की जाती है, जो परिवार में खुशहाली लाती है.
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धनतेरस का संदेश
धनतेरस सिर्फ भौतिक संपदा का उत्सव नहीं है. यह कृतज्ञता, स्वास्थ्य और सकारात्मकता का प्रतीक है. यह हमें अंधेरे पर प्रकाश और भय पर आशा को चुनने की प्रेरणा देता है.
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उत्सव की शुरुआत
धनतेरस दिवाली के पाँच दिवसीय उत्सव का पहला कदम है. यह दिन हमें परिवार, समृद्धि और आध्यात्मिकता के साथ जुड़ने का अवसर देता है. आइए, इस धनतेरस पर अपने घरों को रोशनी और खुशियों से भर दें!
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