आ रही है महबूब की याद, तो पढिए जॉन एलिया के चुनिंदा शेर
याद
अब तो हर बात याद रहती है, ग़ालिबन मैं किसी को भूल गया
ज़िंदगी
अब मेरी कोई ज़िंदगी ही नहीं, अब भी तुम मेरी ज़िंदगी हो क्या
यार
अपने सब यार काम कर रहे हैं, और हम हैं कि नाम कर रहे हैं
मजबूर
इलाज ये है कि मजबूर कर दिया जाऊँ, वगरना यूँ तो किसी की नहीं सुनी मैंने
सब्र
उस गली ने ये सुन के सब्र किया, जाने वाले यहाँ के थे ही नहीं
हवस
एक ही तो हवस रही है हमें, अपनी हालत तबाह की जाए
ऐश
कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगे, जाने कैसे लोग वो होंगे जो उस को भाते होंगे
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