सनस्क्रीन के बारे में मिथक और सच्चाई
सनस्क्रीन क्यों है ज़रूरी?
सनस्क्रीन सिर्फ समुद्र तट की सैर के लिए नहीं है! यह आपकी त्वचा को सूरज की हानिकारक किरणों से बचाता है, जो समय से पहले बूढ़ापा, झुर्रियाँ और त्वचा कैंसर का कारण बन सकती हैं. लेकिन क्या आप सनस्क्रीन से जुड़े मिथकों को मानते हैं? आइए इन गलतफहमियों को दूर करें और सच्चाई जानें.
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सनस्क्रीन सिर्फ धूप वाले दिन के लिए
क्या आप सोचते हैं कि बादल छाए हों तो सनस्क्रीन की ज़रूरत नहीं? गलत! सूरज की 80% यूवी किरणें बादलों को भेदकर आपकी त्वचा तक पहुँचती हैं. बारिश हो या धूप, रोज़ाना सनस्क्रीन लगाना आपकी त्वचा को लंबे समय तक स्वस्थ रखता है.
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सनस्क्रीन त्वचा पर सफेद परत छोड़ता है
पुराने ज़माने के सनस्क्रीन से सफेद परत की शिकायत आम थी, खासकर सांवली त्वचा पर. लेकिन आज के हल्के और पारदर्शी फॉर्मूले हर त्वचा के लिए उपयुक्त हैं. अब सनस्क्रीन लगाना आसान और आरामदायक है!
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सांवली त्वचा को सनस्क्रीन की ज़रूरत नहीं
यह एक बड़ा भ्रम है! सांवली त्वचा में मेलानिन प्राकृतिक सुरक्षा देता है, लेकिन यह हाइपरपिग्मेंटेशन, असमान रंगत और यूवी क्षति से पूरी तरह नहीं बचाता. हर त्वचा को सनस्क्रीन की ज़रूरत होती है.
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सनस्क्रीन चिपचिपा और भारी होता है
पहले के सनस्क्रीन भारी और चिपचिपे हो सकते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है! आधुनिक सनस्क्रीन हल्के, गैर-चिकनाहट वाले और त्वचा में आसानी से समाने वाले हैं. इन्हें लगाना अब मज़ा है, बोझ नहीं!
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सभी सनस्क्रीन एक जैसे होते हैं
सनस्क्रीन दो प्रकार के होते हैं: रासायनिक और खनिज. रासायनिक सनस्क्रीन यूवी किरणों को अवशोषित करते हैं, जबकि खनिज सनस्क्रीन उन्हें परावर्तित करते हैं. अपनी त्वचा के हिसाब से सही सनस्क्रीन चुनें.
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सनस्क्रीन लगाने का सही तरीका
हर दिन SPF 30 या उससे ज़्यादा वाला सनस्क्रीन चुनें और बाहर निकलने से 15 मिनट पहले लगाएं.
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सनस्क्रीन है आपका बेस्ट फ्रेंड!
सनस्क्रीन आपकी त्वचा को न सिर्फ सूरज की हानिकारक किरणों से बचाता है, बल्कि इसे जवां और स्वस्थ भी रखता है. मिथकों को भूलें, सनस्क्रीन को अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी का हिस्सा बनाएँ और अपनी त्वचा को चमकाएँ!
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