केरल का ओणम उत्सव शुरू, जानें क्यों खास है ये 10 दिन?
ओणम का आगाज
केरल का सबसे बड़ा सांस्कृतिक उत्सव, ओणम, 26 अगस्त से शुरू हो रहा है. यह 10 दिन का उत्सव 5 सितंबर को थिरुवोनम के साथ खत्म होगा. मलयाली समुदाय इसे फूलों की सजावट, स्वादिष्ट भोज और नृत्यों के साथ मनाएगा. यह उत्सव राजा महाबली के सम्मान में है, जिनका शासन समृद्धि और समानता का प्रतीक था.
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अथम
26 अगस्त को अथम के साथ ओणम शुरू होगा. घरों में रंग-बिरंगे पूक्कलम (फूलों के कालीन) बनाए जाएंगे. यह महाबली के स्वागत की शुरुआत है.
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चिथिरा और चोधी
27 अगस्त को चिथिरा के दिन पूक्कलम को और विस्तार मिलेगा. 28 अगस्त को चोधी के दिन लोग नए कपड़े (ओनाक्कोडी) खरीदेंगे और उत्सव की तैयारियाँ करेंगे.
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विशाकम और अनीज़म
29 अगस्त को विशाकम के दिन बाजार फसलों से गुलजार रहेंगे. 30 अगस्त को अनीज़म के दिन वल्लमकली (सर्प नौका दौड़) और भव्य पूक्कलम उत्साह बढ़ाएंगे.
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थ्रिकेता और मूलम
31 अगस्त को थ्रिकेता के दिन परिवार उपहारों का आदान-प्रदान करेंगे. 1 सितंबर को मूलम के दिन मंदिरों में भोज और पुलिकली जैसे सांस्कृतिक नृत्य होंगे.
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पूरादम और उत्रादम
2 सितंबर को पूरादम के दिन ओनाथप्पन मूर्तियाँ स्थापित होंगी. 3 सितंबर को उत्रादम, यानी ‘प्रथम ओणम’, घरों की सजावट और सफाई का दिन होगा.
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थिरुवोनम
5 सितंबर को थिरुवोनम के दिन भव्य भोज, प्रार्थनाएँ और महाबली का स्वागत होगा. यह दिन समृद्धि और एकता का प्रतीक है.
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ओणम का महत्व
ओणम केवल फसल उत्सव नहीं, बल्कि समानता और सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक है. यह राजा महाबली की वापसी को खुशी और कृतज्ञता के साथ मनाता है.
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