स्कैल्प की खुजली और पपड़ी से छुटकारे के लिए छोड़े ये आदतें
छोटी-छोटी आदतें
हम अक्सक सोचते हैं कि बालों की चमक सिर्फ शैम्पू और कंडीशनर से आती है, लेकिन असल में स्कैल्प की सेहत रोजमर्रा की छोटी-छोटी आदतों पर टिकी होती है.
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बढ़ सकती है समस्या
व्यस्तता में बाल धोना टालना, स्टाइलिंग प्रोडक्ट्स का अंधाधुंध इस्तेमाल या टाइट हेयरस्टाइल, ये सब स्कैल्प को रूखा, खुजलीदार और पपड़ीदार बना सकते हैं.
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बाल धोने का दिन टालना
थकान या समय की कमी में बाल धोना छोड़ देना आम है. इससे प्राकृतिक ऑयल तो बचे रहते हैं, लेकिन पसीना, डेड स्किन और गंदगी जमा होकर यीस्ट बैक्टीरिया को पनपने का मौका देती है. नतीजा? खुजली, पपड़ी और बदबू.
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सुगंधित प्रोडक्ट्स का मोह
खुशबूदार शैम्पू-कंडीशनर लुभाते हैं, लेकिन सिंथेटिक फ्रेग्रेंस और अल्कोहल स्कैल्प को इरिटेट करते हैं.NAFE SAFE प्रोडक्ट्स चुनें.
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ड्राई शैम्पू की अधिकता
त्वरित रिफ्रेश के लिए ड्राई शैम्पू बढ़िया लगता है, मगर लगातार इस्तेमाल स्कैल्प की नमी चुरा लेता है. बचा हुआ पाउडर डेड सेल्स के साथ मिलकर सफेद गुच्छे बनाता है, जो रूसी जैसे दिखते हैं.
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टाइट हेयरस्टाइल की आदत
हर दिन टाइट पोनी या बन बनाने से स्कैल्प पर खिंचाव पड़ता है, ब्लड फ्लो रुकता है और फॉलिकल्स में इन्फ्लेमेशन होता है. इससे दर्द, जलन और छिलकी निकलती है.
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हाई हीट स्टाइलिंग टूल्स
ब्लो-ड्रायर या स्ट्रेटनर की गर्मी स्कैल्प के नेचुरल ऑयल को उड़ा देती है, जिससे त्वचा डिहाइड्रेटेड और टाइट हो जाती है. डेड सेल्स तेजी से झड़ते हैं.
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प्रोडक्ट बिल्ड-अप को नजरअंदाज करना
जेल, क्रीम और स्प्रे बिना पूरी सफाई के जमा होकर गंदगी फंसाते हैं. यह माहौल यीस्ट ग्रोथ के लिए परफेक्ट बनता है, जिससे इन्फ्लेमेशन और पपड़ी बढ़ती है.
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लाइफस्टाइल की अनदेखी
डाइट, पानी और स्ट्रेस सीधे स्कैल्प को प्रभावित करते हैं. जिंक, विटामिन और फैटी एसिड की कमी सीबम बैलेंस बिगाड़ती है. डिहाइड्रेशन और स्लीपलेसनेस डेड सेल्स टर्नओवर धीमा कर पपड़ी बढ़ाती है.
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