पढ़ें दर्द पर लिखे अल्लामा इक़बाल के शेर....


2024/06/01 23:30:48 IST

अपने मन में डूब कर

    अपने मन में डूब कर पा जा सुराग़-ए-ज़ि़ंदगी, तू अगर मेरा नहीं बनता न बन अपना तो बन

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दिल से जो बात निकलती

    दिल से जो बात निकलती है असर रखती है, पर नहीं ताक़त-ए-परवाज़ मगर रखती है

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माना कि तेरी दीद के क़ाबिल

    माना कि तेरी दीद के क़ाबिल नहीं हूँ मैं, तू मेरा शौक़ देख मिरा इंतिज़ार देख

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असर करे न करे सुन तो

    असर करे न करे सुन तो ले मिरी फ़रियाद, नहीं है दाद का तालिब ये बंदा-ए-आज़ाद

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नशा पिला के गिराना

    नशा पिला के गिराना तो सब को आता है, मज़ा तो तब है कि गिरतों को थाम ले साक़ी

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तेरे इश्क़ की इंतिहा

    तेरे इश्क़ की इंतिहा चाहता हूँ, मेरी सादगी देख क्या चाहता हूँ

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दिल की बस्ती

    दिल की बस्ती अजीब बस्ती है, लूटने वाले को तरसती है

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