पढ़ें इश्क पर लिखे गए राहत इंदौरी के बेहतरीन शेर...


2024/01/20 18:57:09 IST

हवाएँ

    ये हवाएँ उड़ न जाएँ ले के काग़ज़ का बदन, दोस्तो मुझ पर कोई पत्थर ज़रा भारी रखो

समुंदर

    मैं ने अपनी ख़ुश्क आँखों से लहू छलका दिया, इक समुंदर कह रहा था मुझ को पानी चाहिए

दुनिया

    मज़ा चखा के ही माना हूँ मैं भी दुनिया को, समझ रही थी कि ऐसे ही छोड़ दूँगा उसे

ग़ज़ल

    रोज़ पत्थर की हिमायत में ग़ज़ल लिखते हैं, रोज़ शीशों से कोई काम निकल पड़ता है

हमदर्द

    मैं आ कर दुश्मनों में बस गया हूँ, यहाँ हमदर्द हैं दो-चार मेरे

ख़ुशबू

    इक मुलाक़ात का जादू कि उतरता ही नहीं, तिरी ख़ुशबू मिरी चादर से नहीं जाती है

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