हम तो बस ये कहते हैं रोज़ जीने मरने को...पढ़ें पीरज़ादा क़ासिम के शेर...


2024/04/08 22:57:07 IST

फ़ैसला ख़ुद ही लिखा

    अपने ख़िलाफ़ फ़ैसला ख़ुद ही लिखा है आप ने, हाथ भी मल रहे हैं आप आप बहुत अजीब हैं

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इलाज-ए-तीरगी

    शहर तलब करे अगर तुम से इलाज-ए-तीरगी, साहिब-ए-इख़्तियार हो आग लगा दिया करो

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जफ़ा से न यूँ बाज़

    तुम्हें जफ़ा से न यूँ बाज़ आना चाहिए था, अभी कुछ और मिरा दिल दुखाना चाहिए था

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उस की ख़्वाहिश है

    उस की ख़्वाहिश है कि अब लोग न रोएँ न हँसें, बे-हिसी वक़्त कीआवाज़ बना दी जाए

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असीरों को सुना दी

    इक सज़ा और असीरों को सुना दी जाए, यानी अब जुर्म-ए-असीरी की सज़ा दी जाए

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एक दिया बुझा हुआ

    ख़ून से जब जला दिया एक दिया बुझा हुआ, फिर मुझे दे दिया गया एक दिया बुझा हुआ

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आप बहुत अजीब हैं

    ग़म से बहल रहे हैं आप आप बहुत अजीब हैं, दर्द में ढल रहे हैं आप आप बहुत अजीब हैं

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