Urdu Shayari: जाने वाले से मुलाक़ात न होने पाई, दिल की दिल में ही रही बात न होने पाई
शकील बदायूनी
जाने वाले से मुलाक़ात न होने पाई, दिल की दिल में ही रही बात न होने पाई
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फ़ातिमा हसन
क्या कहूँ उस से कि जो बात समझता ही नहीं, वो तो मिलने को मुलाक़ात समझता ही नहीं
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अमीर मीनाई
गाहे गाहे की मुलाक़ात ही अच्छी है अमीर, क़द्र खो देता है हर रोज़ का आना जाना
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शकील बदायूनी
कैसे कह दूँ कि मुलाक़ात नहीं होती है, रोज़ मिलते हैं मगर बात नहीं होती है
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बशीर बद्र
न जी भर के देखा न कुछ बात की, बड़ी आरज़ू थी मुलाक़ात की
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बशीर बद्र
मुसाफ़िर हैं हम भी मुसाफ़िर हो तुम भी, किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी
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नासिर काज़मी
आज देखा है तुझ को देर के बअद, आज का दिन गुज़र न जाए कहीं
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