Urdu Shayari: ज़ुल्फ़ें मुँह पर हैं मुँह है ज़ुल्फ़ों में,रात भर सुब्ह शाम दिन भर है


2024/06/07 14:17:46 IST

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम

    तिरी जो ज़ुल्फ़ का आया ख़याल आँखों में,वहीं खटकने लगा बाल बाल आँखों में

जोशिश अज़ीमाबादी

    उस के रुख़्सार पर कहाँ है ज़ुल्फ़,शोला-ए-हुस्न का धुआँ है ज़ुल्फ़

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महेश चंद्र नक़्श

    उन के गेसू सँवरते जाते हैं,हादसे हैं गुज़रते जाते हैं

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शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम

    हातिम उस ज़ुल्फ़ की तरफ़ मत देख,जान कर क्यूँ बला में फँसता है

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जुरअत क़लंदर बख़्श

    उस ज़ुल्फ़ पे फबती शब-ए-दीजूर की सूझी,अंधे को अँधेरे में बड़ी दूर की सूझी

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आरज़ू लखनवी

    पूछा जो उन से चाँद निकलता है किस तरह,ज़ुल्फ़ों को रुख़ पे डाल के झटका दिया कि यूँ

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मीर तक़ी मीर

    हम हुए तुम हुए कि मीर हुए,उस की ज़ुल्फ़ों के सब असीर हुए

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