Urdu Shayari: और इस से पहले कि साबित हो जुर्म-ए-ख़ामोशी, हम अपनी राय का इज़हार करना चाहते हैं


2024/03/31 14:52:38 IST

जौन एलिया

    मुझे अब तुम से डर लगने लगा है, तुम्हें मुझ से मोहब्बत हो गई क्या

ख़ुमार बाराबंकवी

    ये कहना था उन से मोहब्बत है मुझ को,ये कहने में मुझ को ज़माने लगे हैं

अकबर इलाहाबादी

    इश्क़ के इज़हार में हर-चंद रुस्वाई तो है, पर करूँ क्या अब तबीअत आप पर आई तो है

जोश मलीहाबादी

    एक दिन कह लीजिए जो कुछ है दिल में आप के, एक दिन सुन लीजिए जो कुछ हमारे दिल में है

बहादुर शाह ज़फ़र

    हाल-ए-दिल क्यूँ कर करें अपना बयाँ अच्छी तरह, रू-ब-रू उन के नहीं चलती ज़बाँ अच्छी तरह

जलील मानिकपूरी

    सब कुछ हम उन से कह गए लेकिन ये इत्तिफ़ाक़, कहने की थी जो बात वही दिल में रह गई

तौक़ीर अहमद

    ख़ामोश मगर नज़रों में उजाला देखा, उस का इज़हार-ए-मोहब्बत भी निराला देखा

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