शरद पूर्णिमा का खास महत्व, जानें पूजा का तरीका


2025/10/05 15:40:08 IST

शरद पूर्णिमा का आगमन

    शरद पूर्णिमा, जिसे आश्विन पूर्णिमा या कोजागिरी पूर्णिमा भी कहते हैं, हिंदू धर्म का एक विशेष त्योहार है. यह आश्विन माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है, जो इस बार 6 अक्टूबर 2025 को पड़ेगा. इस रात चंद्रमा अपनी पूरी शोभा में नजर आता है, और भक्त माता लक्ष्मी व चंद्र देव की पूजा करते हैं.

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कहां-कहां मनता है यह पर्व?

    यह पवित्र त्योहार भारत के कई राज्यों में धूमधाम से मनाया जाता है. उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश में इसकी खास रौनक देखने को मिलती है. महाराष्ट्र और बंगाल में इसे कोजागिरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है.

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अनुष्ठान और परंपराएं

    शरद पूर्णिमा के दिन भक्त नदी में पवित्र स्नान करते हैं और उपवास रखते हैं. इस दिन चावल की खीर बनाकर उसे चांदनी में रखने की परंपरा है. मान्यता है कि चांद की किरणों से खीर में औषधीय गुण आ जाते हैं, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं. साथ ही, पंचामृत (दूध, दही, तुलसी, चीनी का मिश्रण) बनाकर भगवान को अर्पित किया जाता है.

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शरद पूर्णिमा का महत्व

    शरद पूर्णिमा को हिंदू धर्म में सबसे शुभ पूर्णिमाओं में से एक माना जाता है. इस दिन चंद्रमा पृथ्वी के सबसे करीब होता है और अपनी सोलह कलाओं के साथ उदय होता है. प्रत्येक कला मानवीय गुणों का प्रतीक है. यह पर्व शीत ऋतु के आगमन और ग्रीष्म के समापन का भी संकेत देता है.

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क्यों खास है यह रात?

    मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की किरणें अमृतमयी होती हैं. भक्त इस रात को खीर और अन्य प्रसाद चांदनी में रखते हैं, ताकि वह ईश्वरीय आशीर्वाद से भर जाए. यह पर्व धन, समृद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है.

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