क्या है कैंची धाम का मालपुआ प्रसाद? बाबा नीम करौली का था फेवरेट


2025/11/04 13:08:02 IST

भक्तों की आस्था का जीवंत केंद्र

    उत्तराखंड के खूबसूरत नैनीताल जिले में बसा कैंची धाम सिर्फ एक तीर्थस्थल नहीं, बल्कि भक्तों की आस्था का जीवंत केंद्र है.

Credit: Pinterest

खास मालपुआ प्रसाद

    यहां बाबा नीम करौली महाराज की समाधि पर हर वर्ष दुनिया भर से श्रद्धालु आते हैं. लेकिन इस पवित्र जगह की असली पहचान है वह खास मालपुआ प्रसाद.

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15 जून के वार्षिक समारोह

    कैंची धाम में मालपुआ को इतना सम्मान इसलिए प्राप्त है क्योंकि बाबा नीम करौली महाराज इसे बेहद पसंद करते थे. हर रोज और खासकर 15 जून के वार्षिक समारोह में हजारों मालपुए तैयार कर बाबा को चढ़ाए जाते हैं.

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श्रद्धा से भरी रसोई

    मंदिर के सेवादार और आसपास के गांव वाले मिलकर इस प्रसाद को बनाने में जुटते हैं. पूरी प्रक्रिया पुरानी रीति से होती है गेहूं का ताजा आटा, दूध, चीनी और देसी घी का इस्तेमाल होता है.

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सुनहरा रंग और चरणों में अर्पण

    मालपुए को सुनहरे भूरे होने तक तला जाता है, फिर घी में डुबोकर बाबा के सामने रखा जाता है. भक्तों का विश्वास है कि बाबा खुद इसे ग्रहण करते हैं, तभी इसे बांटा जाता है.

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इच्छाएं पूरी करने वाला आशीर्वाद

    लोग इसे घर लाकर परिवार और दोस्तों में बांटते हैं, क्योंकि यह न केवल स्वाद में लजीज है, बल्कि इच्छाएं पूरी करने वाला आशीर्वाद भी माना जाता है.

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बाबा की दया

    विशेष पर्वों पर मंदिर में मालपुए के ढेरों पैकेट बनते हैं. भीड़ ज्यादा होने पर अलग-अलग काउंटरों से वितरण होता है. मंदिर प्रबंधन कहता है कि यह मीठी डिश नहीं, बाबा की दया का रूप है.

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मन को शांत करने वाली

    बाबा नीम करौली ने जीवनभर सेवा, प्यार और सरलता को अपनाया. यही भावना इस प्रसाद में समाई है. भक्तों के लिए यह मिठाई मन को शांत करने वाली है.

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सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा

    कैंची धाम का मालपुआ अब उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है. बाबा का नाम लेते ही जो सुकून मिलता है, वही इस प्रसाद के हर कौर में अपनापन, विश्वास और दिव्य स्पर्श महसूस होता है.

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