बहार आए तो मेरा सलाम कह देना...पढ़ें कैफ़ी आजमी के शेर...
नई ज़मीन नया आसमाँ
नई ज़मीन नया आसमाँ भी मिल जाए, नए बशर का कहीं कुछ निशाँ नहीं मिलता
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मैं ढूँढ़ता हूँ जिसे
मैं ढूँढ़ता हूँ जिसे वो जहाँ नहीं मिलता, नई ज़मीन नया आसमाँ नहीं मिलता
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गर डूबना ही अपना मुक़द्दर
गर डूबना ही अपना मुक़द्दर है तो सुनो, डूबेंगे हम ज़रूर मगर नाख़ुदा के साथ
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तू अपने दिल की जवाँ धड़कनों
तू अपने दिल की जवाँ धड़कनों को गिन के बता, मिरी तरह तिरा दिल बे-क़रार है कि नहीं
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जिस तरह हँस रहा हूँ
जिस तरह हँस रहा हूँ मैं पी पी के गर्म अश्क, यूँ दूसरा हँसे तो कलेजा निकल पड़े
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क़ाफ़िला तो चले
ख़ार-ओ-ख़स तो उठें, रास्ता तो चले, मैं अगर थक गया, क़ाफ़िला तो चले
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जो इक ख़ुदा
जो इक ख़ुदा नहीं मिलत तो इतना मातम क्यों, मुझे ख़ुद अपने क़दम का निशाँ नहीं मिलता
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