सावन में कढ़ी और साग खाने पर क्यों मनाही?
सावन का खास महत्व
सावन का महीना भक्ति और प्रकृति के करीब होने का समय है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस दौरान खान-पान में सावधानी बरतना भी जरूरी है? आइए जानते हैं क्यों.
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कढ़ी और साग पर पाबंदी
सावन में कढ़ी और पत्तेदार साग खाने से परहेज की सलाह दी जाती है. इसके पीछे आयुर्वेद और प्रकृति से जुड़े गहरे कारण हैं.
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कमजोर पड़ता है पाचन
आयुर्वेद के अनुसार, बारिश के मौसम में हवा में नमी बढ़ने से पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है. इस दौरान भारी और खट्टा खाना पेट में गैस, अपच या ऐंठन पैदा कर सकता है.
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कढ़ी क्यों है नुकसानदायक?
कढ़ी बेसन और छाछ से बनती है, जो सावन में भारी पड़ती है. बारिश में गायों के चारे की गुणवत्ता बदलने से छाछ ठंडी और पचाने में मुश्किल हो सकती है.
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साग में कीटाणुओं का खतरा
सावन में बारिश के कारण पत्तेदार साग जैसे पालक, सरसों या बथुआ पर कीड़े, बैक्टीरिया और फंगस पनप सकते हैं, जो सेहत के लिए हानिकारक हैं.
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ठंडी तासीर का असर
कढ़ी और साग दोनों की तासीर ठंडी होती है, जो सावन में शरीर की इम्यूनिटी को कमजोर कर सकती है. इस मौसम में गर्म तासीर वाला खाना बेहतर होता है.
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सावन में क्या खाएं?
सावन में हल्का और पौष्टिक भोजन लें. फल (केला, सेब, अनार), मूंग दाल, दूध, घी, भुने चने और दलिया जैसे खाद्य पदार्थ पाचन और इम्यूनिटी को मजबूत रखते हैं.
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सेहत का रखें ख्याल
सावन में खान-पान की सावधानी आपको स्वस्थ और ऊर्जावान बनाए रखेगी. आयुर्वेद के इन नियमों को अपनाकर आप बारिश के मौसम का आनंद ले सकते हैं.
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