भारत में जैन धर्म के फेमस मंदिर, एक बार दर्शन जरूर करें
महावीर जयंती
29 मार्च को महावीर जयंती है. देश के इन प्रसिद्ध मंदिरों में भी मनाया जाएगा यह त्योहार
जैन धर्म दुनिया
जैन धर्म दुनिया का सबसे पुराना धर्म माना जाता है. श्री वर्धमान महावीर जैन समाज के 24वें तीर्थंकर थे. इसलिए महावीर जयंती जैनियों का सबसे महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है.
महावीर जयंती
महावीर जयंती 29 मार्च को है. इस मौके पर देश के तमाम जैन मंदिरों को सजाया जाएगा और रथ यात्रा निकाली जाएगी.
श्री महावीर जैन मंदिर
राजस्थान स्थित श्री महावीर जैन मंदिर में 24वें तीर्थंकर श्री वर्धमान महावीर जी की विशालकाय 29 फुट ऊंची मूर्ति है. ऐसा कहा जाता है कि इस मूर्ति का निर्माण महावीर जी की 2500 वें वर्षगांठ पर किया गया था.
पार्श्वनाथ मंदिर
यह मंदिर मध्यप्रदेश के खजुराहो में है. इसका निर्माण 10वीं शताब्दी में किया गया था. हालांकि यह जैन मंदिर आदित्यनाथ जी को समर्पित है.
मीरपुर जैन मंदिर
राजस्थान के सिरोही जिले के मीरपुर में स्थित मीरपुर जैन मंदिर की खूबसूरती के चर्चे दूर-दूर तक हैं. मार्बल से बना यह सबसे पुराना मंदिर माना जाता है.
धर्मनाथ मंदिर
यह मंदिर केरल के कोचीन में है. यहां भगवान धर्मनाथ की पूजा होती है. भगवान धर्मनाथ 15वें जैन तीर्थंकर थे. यह 100 साल पुराना मंदिर है. इसको पत्थर से बनाया गया है.
शिखर जी मंदिर
जैन समाज का यह सबसे महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक है. इस मंदिर को लोग पारसनाथ मंदिर के नाम से भी जानते हैं. यह झारखंड के गिरिडीह जिले के पारसनाथ पहाड़ियों पर स्थित है.
सोनगिरी मंदिर
ग्वालियर और झांसी के बीच में स्थित सोनगिरी मंदिर देश में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में मशहूर है. सोनगिरी मंदिर को ‘द गोल्डन पीक’ भी कहा जाता है.
रणकपुर जैन मंदिर
राजस्थान स्थित रणकपुर जैन मंदिर, जैन धर्म के पांच प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक माना जाता है. इस मंदिर का निर्माण 15वीं शताब्दी में राणा कुंभा के शासनकाल में प्रारम्भ हुआ था. यह मंदिर जैन पंथ के सबसे बड़े और सबसे महत्वपूर्ण मंदिर होने के लिए जाना जाता है, जोकि भगवान आदित्यनाथ को समर्पित है.
गोमतेश्वर बाहुबली मंदिर
कर्नाटक के मैसूर जिले में इन्द्रगिरि नाम की पहाड़ी पर स्थित इस मंदिर में 56 फुट ऊंची गोमतेश्वर बाहुबली की मूर्ति है. एक ही पत्थर से बनी यह मूर्ति दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है.
अजीतनाथ मंदिर
गुजरात स्थित इस जैन मंदिर का निर्माण 1121 में चलुक्या के राजा कुमारपाला ने करवाया था. इस मंदिर में कार्तिक और चैत्र के महीने में हजारों श्रद्धालु भगवान के दर्शन के लिए आते हैं.
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