चेन्नई से Google तक, जानें सुंदर पिचाई ने कैसे पूरा किया सफर
साधारण शुरुआत, असाधारण सफलता
10 जून को Google और Alphabet के CEO सुंदर पिचाई 53 साल के हो गए. चेन्नई के एक साधारण परिवार से लेकर टेक जगत के शिखर तक, उनकी कहानी लाखों लोगों को प्रेरित करती है.
Credit: Social Media
चेन्नई में हुआ जन्म
पिचाई का जन्म मद्रास (अब चेन्नई) में हुआ. वह अपने परिवार के साथ दो कमरों के छोटे से घर में रहते थे. उनके पिता रघुनाथ पिचाई इलेक्ट्रिकल इंजीनियर थे, और मां लक्ष्मी स्टेनोग्राफर थीं. परिवार के पास न टीवी था, न कार. जब सुंदर 10 साल के थे, तब घर में पहला रोटरी फोन आया.
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शिक्षा के लिए बड़ा बलिदान
सुंदर की शिक्षा में उनके माता-पिता ने सब कुछ झोंक दिया. IIT खड़गपुर से मेटलर्जी में डिग्री और रजत पदक हासिल करने के बाद, सुंदर को स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में छात्रवृत्ति मिली. सुंदर ने 1995 में स्टैनफोर्ड से मास्टर्स और बाद में व्हार्टन स्कूल से MBA किया.
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Google में ऐतिहासिक शुरुआत
2004 में सुंदर पिचाई Google से जुड़े. उन्होंने Google टूलबार जैसे प्रोजेक्ट्स पर काम किया, जो यूजर्स को आसानी से सर्च की सुविधा देता था. 2008 में Google Chrome की लॉन्चिंग उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि थी.
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सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला ब्राउजर
यह ब्राउजर जल्द ही दुनिया में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला ब्राउजर बन गया. उनकी प्रतिभा ने उन्हें 2012 में सीनियर वाइस प्रेसिडेंट और 2014 में प्रोडक्ट चीफ बनाया.
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Google और Alphabet के CEO
2015 में जब Google के सह-संस्थापक लैरी पेज और सर्गेई ब्रिन ने Alphabet बनाया, सुंदर को Google का CEO चुना गया. 2019 में वे Alphabet के भी CEO बने.
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Twitter और Microsoft से मिला मौका
उनकी नेतृत्व क्षमता इतनी प्रभावशाली थी कि Twitter और Microsoft ने भी उन्हें CEO पद की पेशकश की थी. लेकिन Google ने उन्हें बनाए रखा.
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AI और इनोवेशन में योगदान
सुंदर पिचाई ने Google को AI के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया. Google Gemini AI चैटबॉट, वॉयस रिकग्निशन, पिक्सेल फोन, Google क्लाउड और नेस्ट जैसे प्रोजेक्ट्स उनकी देखरेख में फले-फूले. उन्होंने ड्रोन डिलीवरी जैसे भविष्य के प्रोजेक्ट्स पर भी काम किया.
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प्रेरणा का प्रतीक
सुंदर पिचाई की कहानी मेहनत और लगन की मिसाल है. एक साधारण अपार्टमेंट से निकलकर वह दुनिया की सबसे बड़ी टेक कंपनी के CEO बने.
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