डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन से जुड़े इंटरेस्टिंग फैक्ट्स


2025/09/05 12:01:36 IST

बुद्धिमत्ता से दुनिया को चौंकाया

    तमिलनाडु के तिरुथानी में 5 सितंबर, 1888 को जन्मे डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने अपनी बुद्धिमत्ता से दुनिया को चकित किया. एक मेधावी छात्र के रूप में, उन्होंने मद्रास के क्रिश्चियन कॉलेज में दर्शनशास्त्र की गहरी समझ हासिल की, जो उनके जीवन का आधार बनी.

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शिक्षक से कुलपति तक

    डॉ. राधाकृष्णन ने मैसूर, कलकत्ता, आंध्र, दिल्ली और बनारस हिंदू विश्वविद्यालयों में अपनी शिक्षण प्रतिभा का परिचय दिया. उनकी विद्वता ने उन्हें इन प्रतिष्ठित संस्थानों का कुलपति बनाया, जहां उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित किए.

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वैश्विक मंच पर भारतीय दर्शन

    1936 में ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय में स्पैल्डिंग प्रोफेसर बनकर वे पहले भारतीय बने, जिन्होंने पूर्वी धर्म और नैतिकता को वैश्विक स्तर पर स्थापित किया. शिकागो विश्वविद्यालय में भी उनकी व्याख्यानशैली ने सभी को प्रभावित किया.

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यूनेस्को में नेतृत्व

    डॉ. राधाकृष्णन ने 1948 में यूनेस्को के कार्यकारी बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में भारत का नेतृत्व किया. उनकी दूरदर्शिता ने वैश्विक शिक्षा और संस्कृति को नई दिशा दी, जिससे भारत का मान बढ़ा.

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भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति और राष्ट्रपति

    1952 में वे भारत के पहले उपराष्ट्रपति और 1962 में दूसरे राष्ट्रपति बने. उनकी सादगी और विद्वता ने उन्हें जन-जन का प्रिय नेता बनाया. 1954 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया.

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नोबेल पुरस्कार के लिए नामांकन

    डॉ. राधाकृष्णन को साहित्य और शांति के लिए 27 बार नोबेल पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया. यह उनकी वैश्विक पहचान और योगदान का प्रतीक है.

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अमर कृतियां

    उनकी रचनाएं जैसे भारतीय दर्शन, उपनिषदों का दर्शन और पूर्व और पश्चिम: कुछ विचार, आज भी दर्शनशास्त्र के क्षेत्र में प्रेरणा स्रोत हैं. इनके माध्यम से उन्होंने भारतीय दर्शन को विश्व पटल पर स्थापित किया.

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शिक्षक दिवस की प्रेरणा

    डॉ. राधाकृष्णन का जन्मदिन 5 सितंबर भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है. उनकी शिक्षा और दर्शन के प्रति समर्पण आज भी लाखों लोगों को प्रेरित करता है.

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एक कालजयी विरासत

    डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन केवल एक शिक्षक, दार्शनिक या राष्ट्रपति ही नहीं, बल्कि एक ऐसी शख्सियत थे, जिन्होंने भारत को वैश्विक मंच पर गौरवान्वित किया. उनकी शिक्षाएं आज भी हमें सत्य और ज्ञान की राह दिखाती हैं.

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