मनमोहन सिंह की खामोशी जो इतिहास की बनी आवाज


2025/12/26 12:30:31 IST

कम बोलकर ज्यादा प्रभा

    भारतीय राजनीति के एक सादगी भरे लेकिन गहन व्यक्तित्व डॉ. मनमोहन सिंह ने हमेशा कम बोलकर ज्यादा प्रभाव छोड़ा.

Credit: Pinterest

मशहूर पंक्तियां

    उनकी मशहूर पंक्तियां हजारों जवाबों से अच्छी है मेरी खामोशी, न जाने कितने सवालों की आबरू रखी उनके जीवन दर्शन का प्रतीक बनीं.

Credit: Pinterest

मौन रहने की आदत

    ये शब्द उन्होंने 27 अगस्त 2012 को संसद परिसर में पढ़े थे, जब विपक्ष उनकी मौन रहने की आदत पर लगातार हमला बोल रहा था.

Credit: Pinterest

कमजोर प्रधानमंत्री

    विपक्ष ने उन्हें कमजोर प्रधानमंत्री का ठप्पा लगाया. लाल कृष्ण आडवाणी ने एक बार कहा था कि उन्होंने कभी इतना कमजोर प्रधानमंत्री नहीं देखा और प्रधानमंत्री निवास ने अपना महत्व खो दिया है.

Credit: Pinterest

हमलों का जवाब

    विपक्ष के इन हमलों का जवाब देते हुए मनमोहन सिंह की चुप्पी और मजबूत होती गई. लोग उन्हें बोलने के लिए उकसाते रहे, लेकिन वे शांत रहे.

Credit: Pinterest

दस साल का कार्यकाल

    एक समय ऐसा आया जब प्रधानमंत्री कार्यालय को खुद प्रेस कॉन्फ्रेंस करके बताना पड़ा कि डॉ. सिंह ने अपने दस साल के कार्यकाल में कितनी बार सार्वजनिक रूप से बोला.

Credit: Pinterest

क्या कहते हैं आंकड़े

    उनके मीडिया सलाहकार ने आंकड़े पेश किए करीब 1198 भाषण, यानी औसतन हर तीसरे दिन एक संबोधन दिया.

Credit: Pinterest

रिमोट कंट्रोल

    विरोधी उन्हें रिमोट कंट्रोल से चलने वाला प्रधानमंत्री कहते थे, लेकिन उनकी निष्कलंक छवि ने हर चुनौती को पार किया. वे कम बोलते थे, लेकिन उनकी मौन रहने की कला इतनी प्रभावशाली थी कि वह खुद एक जवाब बन जाती थी.

Credit: Pinterest

शोर से ज्यादा असर

    डॉ. मनमोहन सिंह का निधन 26 दिसंबर 2024 को हुआ. वे भारतीय राजनीति के उस दुर्लभ नेता थे, जिनकी खामोशी ने शोर से ज्यादा असर किया.

Credit: Pinterest

View More Web Stories