महात्मा गांधी की 156वीं जयंती पर जानिए उनके जीवन और सिद्धांतों की प्रेरणा
गांधी जयंती का महत्व
2 अक्टूबर को भारत राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 156वीं जयंती मनाएगा. यह दिन न केवल उनकी जयंती का उत्सव है, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में भी विश्व भर में जाना जाता है. गांधीजी के सत्य और अहिंसा के सिद्धांत आज भी दुनिया को प्रेरित करते हैं.
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गांधीजी का प्रारंभिक जीवन
मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ. सादगी और नैतिकता से भरे उनके जीवन ने उन्हें स्वतंत्रता संग्राम का महानायक बनाया. उनके विचारों ने लाखों लोगों को एकजुट किया.
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स्वतंत्रता संग्राम में योगदान
गांधीजी ने चंपारण, खेड़ा, नमक सत्याग्रह और भारत छोड़ो आंदोलन जैसे ऐतिहासिक अभियानों का नेतृत्व किया. उनके अहिंसक विरोध ने ब्रिटिश शासन को चुनौती दी और स्वतंत्रता की राह बनाई.
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नमक मार्च की गूंज
1930 में गांधीजी ने नमक सत्याग्रह शुरू किया, जो ब्रिटिश नमक कानून के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध का प्रतीक बना. यह अभियान भारतीयों की एकता और आत्मनिर्भरता का ऐतिहासिक उदाहरण है.
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आत्मनिर्भरता का संदेश
गांधीजी ने खादी और चरखे को बढ़ावा देकर आत्मनिर्भरता का संदेश दिया. उनका मानना था कि आर्थिक स्वतंत्रता ही सच्ची आजादी की नींव है. यह विचार आज भी प्रासंगिक है.
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अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस
संयुक्त राष्ट्र ने 2 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस घोषित किया है. गांधीजी का अहिंसा का दर्शन विश्व भर में शांति और करुणा का प्रतीक बन चुका है.
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गांधी जयंती का उत्सव
भारत में इस दिन प्रार्थना सभाएँ, स्वच्छता अभियान और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं. नई दिल्ली के राजघाट पर लोग गांधीजी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं. स्कूलों में निबंध और वाद-विवाद प्रतियोगिताएँ होती हैं.
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गांधीजी का शाश्वत संदेश
आज के दौर में गांधीजी के सत्य, अहिंसा और न्याय के आदर्श समाज को एकजुट करने का मार्ग दिखाते हैं. उनका जीवन हमें सिखाता है कि सादगी और साहस से दुनिया बदली जा सकती है.
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