रंग ख़ुश्बू और मौसम का बहाना हो गया...पढ़ें 'मौसम' पर बेहतरीन शेर


2024/02/16 18:04:10 IST

सुहाना

    तुम्हारे शहर का मौसम बड़ा सुहाना लगे...मैं एक शाम चुरा लूँ अगर बुरा न लगे

बग़ावत

    कुछ तो तिरे मौसम ही मुझे रास कम आए...और कुछ मिरी मिट्टी में बग़ावत भी बहुत थी

रंग ख़ुश्बू

    रंग ख़ुश्बू और मौसम का बहाना हो गया...अपनी ही तस्वीर में चेहरा पुराना हो गया

बरसात

    दूर तक छाए थे बादल और कहीं साया न था...इस तरह बरसात का मौसम कभी आया न था

गुज़र

    मैं आख़िर कौन सा मौसम तुम्हारे नाम कर देता...यहाँ हर एक मौसम को गुज़र जाने की जल्दी थी

आँखों

    आँखों से मोहब्बत के इशारे निकल आए...बरसात के मौसम में सितारे निकल आए

मिरी ज़बान

    मिरी ज़बान के मौसम बदलते रहते हैं...मैं आदमी हूँ मिरा एतिबार मत करना

मुलाक़ात

    आँख भर आई किसी से जो मुलाक़ात हुई...ख़ुश्क मौसम था मगर टूट के बरसात हुई

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