दोपहिया वाहनों पर टोल छूट का असली राज
क्यों लगता है टैक्स
हाइवे या एक्सप्रेसवे पर सफर करते समय टोल प्लाजा पर रुकना हर ड्राइवर की मजबूरी होता है. कार, ट्रक या बस, हर कोई अपनी कैटेगरी के हिसाब से फीस अदा करता है. यह पैसा सड़कों की मरम्मत और रखरखाव में लगता है, जो यात्रा को सुरक्षित बनाता है.
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बाइक को क्यों नहीं चुकानी पड़ती फीस?
मोटरसाइकिल चलाने वालों के लिए टोल गेट अक्सर फ्री पास की तरह काम करता है. देशभर में लाखों बाइकर्स को इस छूट से बड़ी सुविधा मिलती है, जो उनकी जेब पर बोझ नहीं डालती.
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हल्का वजन, कम नुकसान
दोपहिया वाहन चार पहियों वाले वाहनों से कहीं ज्यादा हल्के होते हैं. इससे सड़क पर पड़ने वाला प्रेशर न के बराबर रहता है, जिससे रखरखाव का खर्च अपने आप कम हो जाता है.
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स्पेस की समझदारी
एक बाइक सड़क पर न्यूनतम जगह लेती है, जिससे ट्रैफिक आसानी से बहता रहता है. भारी गाड़ियों की तरह ये जाम नहीं पैदा करतीं, बल्कि फ्लो को बेहतर बनाती हैं.
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लोड की सीमा
बाइक पर भारी सामान लादना नामुमकिन सा है. ये मुख्य रूप से पर्सनल ट्रिप के लिए बनी होती हैं, न कि व्यापारिक माल ढोने के लिए. इससे कमर्शियल दबाव सड़कों पर नहीं पड़ता.
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सड़क की लंबी उम्र
हल्के टायरों से सड़क में गड्ढे या क्रैक कम बनते हैं. इससे हाइवे सालों तक मजबूत रहते हैं, और मरम्मत की जरूरत देर से पड़ती है.
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भारी वाहनों की जिम्मेदारी
दूसरी तरफ, बसें और ट्रक सड़क को भारी नुकसान पहुंचाते हैं. इनके वजन से reparations का बोझ बढ़ता है, इसलिए इनसे ऊंचा टोल लिया जाता है.
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सरकार का समर्थन
नीतियां दोपहिया को बढ़ावा देती हैं, क्योंकि ये कम पॉल्यूशन फैलाती हैं और फ्यूल बचाती हैं. टोल फ्री रखकर आम लोग की बचत होती है.
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