भारत के सादगी भरे नायक लाल बहादुर शास्त्री की कहानी


2025/10/02 08:21:13 IST

एक सच्चे देशभक्त का जन्म

    2 अक्टूबर को भारत लाल बहादुर शास्त्री की जयंती मनाता है, जिन्हें उनकी सादगी और देशभक्ति के लिए हमेशा याद किया जाएगा. देश के दूसरे प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने भारत को कठिन समय में नेतृत्व दिया. आइए, उनके जीवन की प्रेरक कहानी जानें.

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'शास्त्री' उपनाम की कहानी

    लाल बहादुर का जन्म श्रीवास्तव परिवार में हुआ, लेकिन उन्होंने जाति व्यवस्था के खिलाफ विद्रोह करते हुए अपना उपनाम छोड़ दिया. 1925 में काशी विद्यापीठ से दर्शनशास्त्र और नैतिकता में डिग्री हासिल करने के बाद उन्हें शास्त्री की उपाधि मिली, जो उनके जीवन का हिस्सा बन गई.

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गंगा पार करने की अनोखी कहानी

    स्कूल के दिनों में शास्त्री जी सिर पर थैला और कपड़ा रखकर गंगा नदी तैरकर पार करते थे. यह उनकी सादगी और दृढ़ संकल्प का प्रतीक था, जो उनके जीवन में हमेशा दिखाई दिया.

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पुलिस सुधार के प्रणेता

    उत्तर प्रदेश में पुलिस और परिवहन मंत्री रहते हुए शास्त्री जी ने लाठीचार्ज की जगह पानी की बौछारों से भीड़ को नियंत्रित करने की नवोन्मेषी शुरुआत की. यह उनके अहिंसक दृष्टिकोण को दर्शाता है.

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महिलाओं को सशक्त बनाने की पहल

    परिवहन मंत्री के रूप में शास्त्री जी ने महिलाओं को बस कंडक्टर की नौकरी में नियुक्त करने का रास्ता खोला. यह उस समय में महिलाओं के लिए एक क्रांतिकारी कदम था.

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'जय जवान, जय किसान' का नारा

    1965 के भारत-पाक युद्ध के बाद खाद्यान्न संकट के दौरान शास्त्री जी ने देशवासियों से एक दिन का उपवास करने की अपील की. उनके नारे जय जवान, जय किसान ने सैनिकों और किसानों के योगदान को अमर कर दिया.

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निष्पक्षता का प्रतीक

    जब उनके बेटे को अनुचित तरीके से नौकरी में पदोन्नति मिली, शास्त्री जी ने इसे तुरंत रद्द कर दिया. यह उनकी ईमानदारी और निष्पक्षता का जीवंत उदाहरण था.

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भ्रष्टाचार के खिलाफ पहल

    1962 में गृह मंत्री के रूप में शास्त्री जी ने भ्रष्टाचार से निपटने के लिए भारत में पहली समिति गठित की. यह उनके स्वच्छ और पारदर्शी शासन की मिसाल थी.

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श्वेत क्रांति के जनक

    शास्त्री जी ने श्वेत क्रांति को बढ़ावा दिया और गुजरात के आणंद में अमूल सहकारी संस्था का समर्थन किया. 1965 में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड की स्थापना ने भारत को दूध उत्पादन में अग्रणी बनाया.

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