भारत के एकीकरण के नायक लौह पुरुष की अनकही कहानी
शुरुआती संघर्ष और सफलता
सरदार पटेल ने 22 साल की उम्र में मैट्रिक परीक्षा पास की, हालांकि बाद में अपनी मेहनत से वे देश के सबसे सफल वकीलों में से एक बन गए.
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स्वतंत्र भारत के पहले उप-प्रधानमंत्री
सरदार पटेल भारत के पहले उप प्रधानमंत्री थे. इस दौरान उन्होंने कई महान काम किए.
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गांधी से प्रेरणा लेकर राजनीति में प्रवेश
राजनीति से दूर तक लगाव नहीं रखने वाले पटेल एक बार महात्मा गांधी से मिलें और स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े, जो उनके जीवन का टर्निंग पॉइंट साबित हुआ.
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कांग्रेस से मंत्रालय तक का सफर
कांग्रेस जॉइन करने के बाद गुजरात विधानसभा के सचिव बने. स्वतंत्रता के बाद गृह, राज्य और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय संभाला.
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लंदन में कानूनी उपलब्धि
36 साल की उम्र में इंग्लैंड के प्रतिष्ठित इन्स ऑफ कोर्ट मिडिल टेम्पल से तीन साल का लॉ कोर्स पूरा किया.
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बेमिसाल तेजी से बैरिस्टर बने
सामान्य 36 महीनों की बजाय सिर्फ 30 महीनों में लॉ डिग्री हासिल कर लौह इरादों का परिचय दिया.
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असहयोग आंदोलन के योद्धा
गांधीजी के इस आंदोलन में पश्चिमी भारत घूमकर 3 लाख सदस्य जोड़े और 15 लाख रुपये से ज्यादा फंड इकट्ठा किया.
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समाज सुधार के पक्षधर
एकजुट भारत के लिए लड़ते हुए जातिवाद, अस्पृश्यता और लिंग भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई, साथ ही महिलाओं के सशक्तिकरण में सक्रिय रहे.
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बारदोली सत्याग्रह की जीत
1928 में कर बढ़ोतरी के विरुद्ध किसानों की लड़ाई लड़ी, जिसकी कामयाबी पर उन्हें सरदार की सम्मानजनक उपाधि मिली.
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रियासतों का एकीकरण
आजादी के बाद 562 देसी रियासतों को समझौते और दृढ़ता से भारत में मिलाकर अखंड राष्ट्र की नींव रखी.
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