Water Shortage in Pakistan: पाकिस्तान में खरीफ फसलों की बुवाई पर जल संकट का खतरा मंडरा रहा है. भारत द्वारा सिंधु जल संधि (IWT) को निलंबित करने और चिनाब नदी के प्रवाह में कमी के कारण यह स्थिति बनी है. मंगला और तरबेला बांधों में जल भंडारण में भारी गिरावट दर्ज की गई है.
पाकिस्तान के सिंधु नदी प्रणाली प्राधिकरण (IRSA) के अनुसार, मंगला और तरबेला बांधों में जल भंडारण में 50% की कमी आई है. मंगला बांध में 5.9 मिलियन एकड़ फीट (MAF) की क्षमता में से केवल 2.7 MAF पानी बचा है. तरबेला बांध में 11.6 MAF की क्षमता में से 6 MAF ही उपलब्ध है. वहीं चिनाब नदी में 21 प्रतिशत पानी की कमी आई है. IRSA ने बांध अधिकारियों को पानी का समझदारी से उपयोग करने की सलाह दी है.
पहलगाम में हाल के आतंकवादी हमले के बाद भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया. भारत ने चिनाब नदी पर बगलिहार और सलाल जलाशयों से जल प्रवाह के आंकड़े साझा करना बंद कर दिया. भारत ने इन जलाशयों की तलछट साफ कर अतिरिक्त भंडारण क्षमता बनाई है. इससे पाकिस्तान को मिलने वाला पानी कम हो गया है.
IRSA ने कहा कि भारत की कम आपूर्ति से खरीफ की शुरुआत में और कमी आएगी. मई से सितंबर तक खरीफ फसलों की बुवाई होती है. मंगला और तरबेला बांध पंजाब और सिंध प्रांतों में सिंचाई और जलविद्युत के लिए महत्वपूर्ण हैं. जल की कमी से धान और कपास जैसी फसलों पर असर पड़ सकता है. IRSA ने चेतावनी दी कि स्थिति और खराब हो सकती है. मानसून की बारिश से सुधार की उम्मीद है, लेकिन यह अगले महीने तक संभव है.
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने ताजिकिस्तान के दुशांबे में ग्लेशियर संरक्षण सम्मेलन में इस मुद्दे को उठाया. उन्होंने भारत के संधि निलंबन पर वैश्विक ध्यान खींचने की कोशिश की. पाकिस्तान का कहना है कि भारत की नीति से उसकी कृषि और जलविद्युत प्रभावित हो रही है. हालांकि, भारत का कहना है कि सुरक्षा चिंताओं के कारण यह कदम जरूरी था.
1960 की सिंधु जल संधि के तहत भारत को रावी, सतलुज और ब्यास नदियों का पूरा अधिकार है. लेकिन भारत के पास अपर्याप्त बुनियादी ढांचा है. इससे पाकिस्तान को अतिरिक्त पानी मिलता रहा है. अब भारत ने जल प्रवाह नियंत्रित कर पाकिस्तान का यह लाभ कम कर दिया है. मानसून के दौरान बाढ़ प्रबंधन भी पाकिस्तान के लिए मुश्किल होगा.