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हार्वर्ड विश्वविद्यालय पर ट्रंप प्रशासन का कड़ा कदम, संकट में अंतरराष्ट्रीय छात्रों का भविष्य!

डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन द्वारा लिए गए इस कदम की वजह से छात्रों को या तो अन्य स्कूलों में स्थानांतरित होना होगा या फिर देश छोड़ना भी पड़ सकता है. एक फैसले ने हजारों छात्र के भविष्य को अनिश्चितता के कटघरे में डाल दिया है. 

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Courtesy: Social Media

Harvard University Controversy: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जब से सत्ता में वापस आएं तब से उन्होंने अपने विस्मयकारी निर्णयों से पूरी दुनिया को चिंता में डाल दिया है. इसी क्रम में ट्रंप प्रशासन ने हार्वर्ड विश्वविद्यालय से जुड़ा एक आश्चर्यजनक फैसला लिया है. उन्होंने अंतरराष्ट्रीय छात्रों को नामांकित करने की क्षमता को रद्द कर दिया है. यह निर्णय शुक्रवार को लिया गया, जिसके बाद हजारों विदेशी छात्रों टेंशन के माहौल में है. 

डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन द्वारा लिए गए इस कदम की वजह से छात्रों को या तो अन्य स्कूलों में स्थानांतरित होना होगा या फिर देश छोड़ना भी पड़ सकता है. एक फैसले ने हजारों छात्र के भविष्य को अनिश्चितता के कटघरे में डाल दिया है. 

ट्रंप प्रशासन ने क्यों उठाया यह कदम?

होमलैंड सुरक्षा विभाग ने हार्वर्ड पर गंभीर आरोप लगाए हैं. विभाग का कहना है कि हार्वर्ड ने परिसर में अमेरिका विरोधी और आतंकवाद समर्थक आंदोलनकारियों को यहूदी छात्रों पर हमला करने की अनुमति दी, जिससे असुरक्षित माहौल बना. इसके अलावा हार्वर्ड पर चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के साथ मिलकर काम करने और 2024 तक चीनी अर्धसैनिक समूह के सदस्यों को प्रशिक्षण देने का भी आरोप है. विभाग ने कहा कि हार्वर्ड अब विदेशी छात्रों को नामांकित नहीं कर सकता. मौजूदा छात्रों को स्थानांतरित होना होगा या उनकी कानूनी स्थिति खतरे में पड़ सकती है.

हार्वर्ड पर कितना बड़ा असर?

हार्वर्ड में लगभग सात हजार अंतरराष्ट्रीय छात्र पढ़ते हैं. ये छात्र 100 से अधिक देशों से हैं और ज्यादातर स्नातक कार्यक्रमों में हैं. इस निर्णय से इन छात्रों का भविष्य अनिश्चित हो गया है. उन्हें अब अन्य विश्वविद्यालयों में स्थानांतरण के लिए संघर्ष करना पड़ सकता है. हार्वर्ड ने इस कदम को गैरकानूनी और प्रतिशोधात्मक बताया है. विश्वविद्यालय ने कहा कि यह कार्रवाई हमारे शैक्षणिक मिशन को कमजोर करती है और छात्रों को नुकसान पहुंचाएगी. यह विवाद 16 अप्रैल को होमलैंड सिक्योरिटी सेक्रेटरी क्रिस्टी नोएम के एक पत्र से शुरू हुआ. नोएम ने हार्वर्ड से उन विदेशी छात्रों की जानकारी मांगी थी, जो हिंसा या विरोध प्रदर्शनों में शामिल हो सकते हैं. हार्वर्ड ने इस अनुरोध का पालन नहीं किया. नोएम ने गुरुवार को एक पत्र में कहा कि हार्वर्ड की विफलता के कारण उसकी मंजूरी रद्द की जा रही है. यह निर्णय हार्वर्ड को 2025-26 शैक्षणिक वर्ष के लिए अंतरराष्ट्रीय छात्रों को भर्ती करने से रोकता है.

अंतरराष्ट्रीय छात्रों का क्या होगा?

इस कदम से हार्वर्ड के 6,800 अंतरराष्ट्रीय छात्रों पर गहरा प्रभाव पड़ेगा. जिन छात्रों ने इस सेमेस्टर में अपनी डिग्री पूरी कर ली है, उन्हें स्नातक होने की अनुमति होगी. लेकिन जिन्होंने अभी डिग्री पूरी नहीं की है, उन्हें अन्य विश्वविद्यालयों में स्थानांतरित होना होगा. नोएम ने चेतावनी दी कि ऐसा न करने पर छात्र अपनी कानूनी स्थिति खो सकते हैं. अमेरिकी सरकार के पास यह तय करने का अधिकार है कि कौन देश में प्रवेश कर सकता है. होमलैंड सिक्योरिटी विभाग स्टूडेंट एक्सचेंज और विजिटर प्रोग्राम को नियंत्रित करता है, जो कॉलेजों को विदेशी छात्रों के लिए वीजा दस्तावेज जारी करने की अनुमति देता है. हार्वर्ड को इस कार्यक्रम से हटा दिया गया है, जिसके कारण वह नए अंतरराष्ट्रीय छात्रों को भर्ती नहीं कर सकेगा. विश्वविद्यालय ने इसे अमेरिकी शिक्षा और शोध के लिए हानिकारक बताया. यह विवाद न केवल हार्वर्ड, बल्कि पूरी दुनिया के शैक्षणिक समुदाय के लिए एक बड़ा मुद्दा बन गया है.

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