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शेख हसीना की बढ़ी मुसीबत! बांग्लादेशी कोर्ट में मानवता के खिलाफ का लगा आरोप

मुख्य अभियोजक ताजुल इस्लाम ने विशेष न्यायाधिकरण में कहा कि शेख हसीना ने सुरक्षा बलों और सत्तारूढ़ पार्टी के कार्यकर्ताओं को सीधे आदेश दिए. इन आदेशों से सामूहिक हत्याएं हुईं.

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Courtesy: Social Media

Sheikh Hasina: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना पर जुलाई 2024 के छात्र आंदोलन के दौरान हिंसक कार्रवाई के लिए मानवता के खिलाफ अपराध का आरोप लगाया गया है. इसके साथ ही, सर्वोच्च न्यायालय ने जमात-ए-इस्लामी का पंजीकरण बहाल करने का आदेश दिया. ये दोनों घटनाएँ बांग्लादेश की राजनीति में बड़ा बदलाव ला सकती हैं.

मुख्य अभियोजक ताजुल इस्लाम ने विशेष न्यायाधिकरण में कहा कि शेख हसीना ने सुरक्षा बलों और सत्तारूढ़ पार्टी के कार्यकर्ताओं को सीधे आदेश दिए. इन आदेशों से सामूहिक हत्याएं हुईं. वीडियो फुटेज और एन्क्रिप्टेड संचार के सबूतों के आधार पर उन्होंने कहा कि ये हत्याएं योजनाबद्ध थीं.

छात्रों के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन

हसीना के दो वरिष्ठ अधिकारियों पर भी आरोप लगे हैं. 81 गवाहों को इस मामले में सूचीबद्ध किया गया है. हसीना ने पिछले साल अगस्त में 15 साल की सत्ता के बाद पद छोड़ा था. जिसके बाद से वह अभी तक दिल्ली में ही है. उन पर भ्रष्टाचार के भी आरोप हैं. जुलाई 2024 में छात्रों के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन शुरू हुए. ये प्रदर्शन सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर थे. हसीना की सरकार ने इन पर सख्त कार्रवाई की. इस दौरान कई लोगों की मौत हुई. अभियोजकों का कहना है कि हसीना ने हिंसा को बढ़ावा दिया. इस कारण उन पर मानवता के खिलाफ अपराध का मुकदमा दर्ज हुआ.

जमात-ए-इस्लामी की वापसी

बांग्लादेश के सर्वोच्च न्यायालय ने रविवार को जमात-ए-इस्लामी का पंजीकरण बहाल करने का आदेश दिया. इससे पार्टी को दशक भर बाद चुनाव लड़ने की अनुमति मिली. मुख्य न्यायाधीश सैयद रेफात अहमद ने यह फैसला सुनाया. हालांकि, पार्टी के पारंपरिक चुनाव चिह्न तराजू के उपयोग पर निर्णय चुनाव आयोग पर छोड़ा गया. 2013 में उच्च न्यायालय ने जमात को अयोग्य ठहराया था. इसका कारण 1971 के स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका थी. 2018 में जमात का पंजीकरण रद्द हुआ था. अगस्त 2024 में हसीना सरकार ने फिर प्रतिबंध लगाया. यह प्रतिबंध स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन (SAD) आंदोलन के दौरान था. जमात ने इस आंदोलन का समर्थन किया था.

हसीना के सत्ता से हटने के बाद, जमात ने 2013 के फैसले की समीक्षा की मांग की. पार्टी ने इसे राजनीति से प्रेरित बताया. ये दोनों घटनाएं बांग्लादेश की राजनीति को नया रूप दे सकती हैं. शेख हसीना पर आरोप गंभीर हैं. जमात की वापसी से चुनावी माहौल बदल सकता है. बांग्लादेश का अगला आम चुनाव रोमांचक होगा. यह देश के भविष्य को प्रभावित करेगा.

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