नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को सांसद इंजीनियर रशीद को संसद के मौजूदा सत्र में भाग लेने के लिए अभिरक्षा पैरोल पर रिहाई देने के मुद्दे पर राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) से जवाब मांगा है. रशीद आतंकवाद के वित्त पोषण से जुड़े एक मामले में जेल में बंद हैं और उनकी याचिका पर सुनवाई चल रही है.
रशीद आतंकवाद के वित्तपोषण से जुड़े मामले में आरोपित हैं और उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को एनआईए से यह सवाल किया कि क्या एक सांसद के तौर पर वह संसद के सत्र में भाग ले सकते हैं, जबकि वह न्यायिक हिरासत में हैं. न्यायमूर्ति विकास महाजन ने कहा, “वह एक निर्वाचित सांसद हैं, क्या उन्हें संसद के सत्र में हिस्सा लेने में कोई समस्या हो सकती है?”
एनआईए के वकील ने अदालत में कहा कि मामला "इतना सरल नहीं है", क्योंकि इसमें सुरक्षा का भी महत्वपूर्ण सवाल है. इसके बाद अदालत ने एनआईए को सात फरवरी तक जवाब देने का समय दिया. रशीद की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एन हरिहरन ने दलील दी कि संसद के बजट सत्र का पहला चरण 13 फरवरी को समाप्त हो रहा है और रशीद को अपने निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने की अनुमति मिलनी चाहिए.
रशीद ने अपनी याचिका में अदालत से यह भी आग्रह किया है कि वह एनआईए अदालत को निर्देश दे कि उसकी लंबित जमानत याचिका का जल्द निपटारा किया जाए. यदि ऐसा संभव नहीं है, तो उच्च न्यायालय इस पर फैसला ले. रशीद ने अपनी याचिका में यह भी कहा कि उन्हें संसद सत्र में शामिल होने के लिए पैरोल दी जाए, और यह कार्यवाही संसद के मार्शलों के द्वारा सुनिश्चित की जा सकती है.
इससे पहले एनआईए ने रशीद की याचिका का विरोध किया था। एनआईए का कहना था कि एक सांसद के तौर पर रशीद को किसी प्रकार का विशेष "अधिकार" नहीं है और इसलिए उन्हें अंतरिम जमानत देने का कोई कारण नहीं बनता. एनआईए ने यह भी कहा कि रशीद की जमानत याचिका स्वीकार्य नहीं है.
इस मामले में उच्च न्यायालय ने सुनवाई करते हुए इस मुद्दे को 10 या 11 फरवरी को शीर्ष अदालत में सूचीबद्ध करने की बात की है, जिससे जल्द ही एक निर्णय लिया जा सके.
इंजीनियर रशीद 2024 के लोकसभा चुनाव में जम्मू-कश्मीर के बारामूला निर्वाचन क्षेत्र से चुने गए थे. 2017 के आतंकी वित्तपोषण मामले में रशीद को एनआईए ने गिरफ्तार किया था और वह 2019 से तिहाड़ जेल में बंद हैं.
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