बांग्लादेश ISKCON पर हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, हिंदू समुदाय में खुशी की लहर

बांग्लादेश में इस्कॉन मंदिर को लेकर पिछले कुछ दिनों से विवाद चल रहा है. इसी बीच ढाका हाईकोर्ट ने इस मामले से जुड़ा एक बड़ा फैसला सुनाया है. इस फैसले से हिंदू समुदाय के लोगों के चेहरों पर खुशी नजर आ रही है.

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Courtesy: Social Media

Bangladesh ISKCON: बांग्लादेश में इस्कॉन को बड़ी राहत मिली है. बांग्लादेश के उच्च न्यायालय ने इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने की मांग को खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि वह सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से संतुष्ट है और फिलहाल इस मामले में किसी तरह की स्वतः संज्ञान लेने की आवश्यकता नहीं है. यह निर्णय इस्कॉन के लिए एक बड़ी राहत साबित हुआ है. जो पहले से ही कट्टरपंथी संगठनों के निशाने पर था.

बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने की याचिका दाखिल की गई थी. याचिका दायर करने वाले वकील मोनिरुज्जमां ने अदालत से चटगांव और रंगपुर में आपातकाल लागू करने की भी अपील की थी. उनका कहना था कि इन स्थानों पर इस्कॉन के खिलाफ हिंसा भड़क सकती है. याचिका में यह भी कहा गया था कि धार्मिक स्थलों पर तनाव बढ़ने के कारण इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए.

सरकार ने उठाए सख्त रुख

सुनवाई के दौरान बांग्लादेश के डिप्टी अटॉर्नी जनरल असदउद्दीन ने सरकार की ओर से उठाए गए कदमों की जानकारी दी. उन्होंने अदालत से कहा कि सरकार इस मुद्दे पर सख्त रुख अपनाए हुए है और अब तक तीन मामलों में आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है. इनमें 33 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. जबकि सीसीटीवी फुटेज के आधार पर छह और लोगों की पहचान की गई है. उन्होंने यह भी कहा कि सुरक्षा बल इस मामले पर उच्च प्राथमिकता के साथ काम कर रहे हैं.

कोर्ट ने क्या कहा

कोर्ट ने इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने की मांग को नकारते हुए कहा कि वह सरकार की कार्रवाई से पूरी तरह संतुष्ट है. जजों ने टिप्पणी की कि हमारे देश में सभी धर्मों के लोग रहते हैं, आपसी सम्मान और प्यार कभी नहीं खोएगा. कोर्ट ने यह भी कहा कि  हमें राज्य की जिम्मेदारी पर पूरा भरोसा है, इसलिए आवेदक को चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है. भलें ही बांग्लादेश में इस्कॉन को फिलहाल राहत मिली है. लेकिन संगठन के खिलाफ खतरा अभी भी कायम है. कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी के कार्यकर्ता लगातार सरकार पर दबाव बना रहे हैं. इसके अलावा अटॉर्नी जनरल ने सुनवाई के दौरान इस्कॉन को कट्टरपंथी संगठन के रूप में वर्णित किया था.

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