'अंग्रेजी बोलने वाले जल्द होंगे शर्मिंदा', भाषा विवाद के बीच बोले अमित शाह

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भारतीय भाषा को लेकर अपनी बात रखी है. उन्होंने लोगों से भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने केलिए कहा है. वहीें उन्होंने उन लोगों को चेतावनी भी दी है जो पूरी तरह से विदेशी भाषाओं पर निर्भर होते हैं.

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Courtesy: Social Media

Amit Shah: भारत में भाषा को लेकर विवाद बढ़ गया है. सोशल मीडिया पर ऐसे कई वीडियो देखने को मिले, जिसमें मराठी, कन्नड़ और अन्य भाषा बोलने के लिए जबरदस्ती की जा रही थी. अब भाषा विवाद पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नया मोर्चा खोल दिया है. उन्होंने लोगों को चेतावनी देते हुए कहा कि अंग्रेजी बोलने वालों को जल्द ही शर्मिंदगी महसूस होने वाली है.

पुस्तक विमोचन समारोह में बोलते हुए शाह ने इस बात पर जोर दिया कि भारत के लोगों को अपने देश की भाषाओं पर नाज होना चाहिए. उन्होंने कहा कि भाषाएं देश की पहचान का केंद्र है, इतनी सारी देशी भाषाएं होने के बाद भी विदेशी भाषाओं को प्राथमिकता नहीं मिलनी चाहिए. 

भाषाएं हमारी संस्कृति के रत्न

अमित शाह ने कहा कि इस देश में अंग्रेजी बोलने वालों को जल्द ही शर्मिंदगी महसूस होगी. जल्द ही ऐसे समाज का निर्माण होने वाला है, जहां इंग्लिश बोलने वालों को शर्म आएगी. उन्होंने देश की भाषाओं को बढ़ावा देते हुए कहा कि मेरा मानना ​​है कि हमारे देश की भाषाएं हमारी संस्कृति के रत्न हैं. अगर हम अपनी भाषाओं को अच्छी तरह से नहीं जानते हैं तो हम सच्चे भारतीय नहीं रह सकते. उन्होंने भारत की भाषाई विरासत को पुनः प्राप्त करने के लिए पूरे देश में नए सिरे से प्रयास करने का आह्वान किया. शाह ने यह भी भविष्यवाणी की कि दुनिया भर में अंग्रेजी को औपनिवेशिक गुलामी के प्रतीक के रूप में देखा जाएगा. 

विदेशी भाषाओं पर कम निर्भता

गृहमंत्री ने कहा कि हमारे देश, हमारी संस्कृति और हमारे इतिहास को समझने के लिए कोई भी विदेश भाषा पर्याप्त नहीं है. अधूरी विदेशी भाषाओं के सहारे संपूर्ण भारत की कल्पना संभव नहीं है. उन्होंने आगे कहा कि मैं पूरी तरह से जानता हूं कि यह लड़ाई काफी ज्यादा ही कठिन है. लेकिन मुझे भरोसा है कि भारतीय समाज इसमें जीत हासिल करेगा. उन्होंने देश के लोगों से सभी भारतीय भाषाओं को सम्मान देने के लिए कहा और विदेशी भाषाओं पर उतना ज्यादा निर्भर नहीं रहने के लिए कहा है. दक्षिण भाषा की लड़ाई थोड़ी गंभीर समस्या बन चुकी है. केंद्र के साथ तनाव के बीच तमिलनाडु ने दावा किया है कि भाजपा सरकार धीरे-धीरे हिंदी को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रही है. हालांकि भाषा को लेकर लड़ाई काफी पुराना है. 

Amit Shah: भारत में भाषा को लेकर विवाद बढ़ गया है. सोशल मीडिया पर ऐसे कई वीडियो देखने को मिले, जिसमें मराठी, कन्नड़ और अन्य भाषा बोलने के लिए जबरदस्ती की जा रही थी. अब भाषा विवाद पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नया मोर्चा खोल दिया है. उन्होंने लोगों को चेतावनी देते हुए कहा कि अंग्रेजी बोलने वालों को जल्द ही शर्मिंदगी महसूस होने वाली है.

पुस्तक विमोचन समारोह में बोलते हुए शाह ने इस बात पर जोर दिया कि भारत के लोगों को अपने देश की भाषाओं पर नाज होना चाहिए. उन्होंने कहा कि भाषाएं देश की पहचान का केंद्र है, इतनी सारी देशी भाषाएं होने के बाद भी विदेशी भाषाओं को प्राथमिकता नहीं मिलनी चाहिए. 

भाषाएं हमारी संस्कृति के रत्न

अमित शाह ने कहा कि इस देश में अंग्रेजी बोलने वालों को जल्द ही शर्मिंदगी महसूस होगी. जल्द ही ऐसे समाज का निर्माण होने वाला है, जहां इंग्लिश बोलने वालों को शर्म आएगी. उन्होंने देश की भाषाओं को बढ़ावा देते हुए कहा कि मेरा मानना ​​है कि हमारे देश की भाषाएं हमारी संस्कृति के रत्न हैं. अगर हम अपनी भाषाओं को अच्छी तरह से नहीं जानते हैं तो हम सच्चे भारतीय नहीं रह सकते. उन्होंने भारत की भाषाई विरासत को पुनः प्राप्त करने के लिए पूरे देश में नए सिरे से प्रयास करने का आह्वान किया. शाह ने यह भी भविष्यवाणी की कि दुनिया भर में अंग्रेजी को औपनिवेशिक गुलामी के प्रतीक के रूप में देखा जाएगा. 

विदेशी भाषाओं पर कम निर्भता

गृहमंत्री ने कहा कि हमारे देश, हमारी संस्कृति और हमारे इतिहास को समझने के लिए कोई भी विदेश भाषा पर्याप्त नहीं है. अधूरी विदेशी भाषाओं के सहारे संपूर्ण भारत की कल्पना संभव नहीं है. उन्होंने आगे कहा कि मैं पूरी तरह से जानता हूं कि यह लड़ाई काफी ज्यादा ही कठिन है. लेकिन मुझे भरोसा है कि भारतीय समाज इसमें जीत हासिल करेगा. उन्होंने देश के लोगों से सभी भारतीय भाषाओं को सम्मान देने के लिए कहा और विदेशी भाषाओं पर उतना ज्यादा निर्भर नहीं रहने के लिए कहा है. दक्षिण भाषा की लड़ाई थोड़ी गंभीर समस्या बन चुकी है. केंद्र के साथ तनाव के बीच तमिलनाडु ने दावा किया है कि भाजपा सरकार धीरे-धीरे हिंदी को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रही है. हालांकि भाषा को लेकर लड़ाई काफी पुराना है. 

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