AC Temperature Rules: केंद्र सरकार ने बिजली और पर्यावरण बचाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाने जा रही है. केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने घोषणा की है कि जल्द ही एसी चलाने के लिए तापमान निर्धारित किया जाएगा. जिसेक बाद कोई भी एसी 20 डिग्री से कम ठंडा या 28 डिग्री से ज्यादा गर्म तापमान नहीं कर पाएगा. यह नियम घरों, दफ्तरों और व्यावसायिक स्थानों पर लागू होगा.
गर्मी के महीनों में बिजली का उपयोग काफी तेजी से बढ़ता है. एयर कंडीशनर, खासकर जब बहुत कम तापमान पर चलाए जाते हैं, बिजली ग्रिड पर भारी दबाव डालते हैं. ऊर्जा दक्षता ब्यूरो के मुताबिक लोगों का 20-21 डिग्री पर सेट करने से जरूरत से ज्यादा ठंडा होता है. जिसकी वजह से बिजली की खपत बढ़ती है और कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्रों से कार्बन उत्सर्जन भी बढ़ता है. इस नए नियम का लक्ष्य बिजली की खपत कम करना, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन घटाना और लोगों में जिम्मेदार ऊर्जा उपयोग की आदत डालना है.
BEE के आंकड़ों के मुताबिक, एसी का तापमान एक डिग्री बढ़ाने से 6% तक बिजली की बचत हो सकती है. यह न केवल आपके बिजली बिल को कम करेगा, बल्कि राष्ट्रीय बिजली ग्रिड पर दबाव भी घटाएगा. डॉक्टरों का कहना है कि 24 से 26 डिग्री का तापमान आपके स्वास्थ के लिए भी सही होता है. इस नियम के तहत, एसी निर्माताओं को अपने उपकरणों को 20 से 28 डिग्री की सीमा के अनुरूप प्रोग्राम करना होगा. मौजूदा एसी के लिए सॉफ्टवेयर अपडेट या नई सेटिंग्स लागू की जा सकती हैं. सरकार इसकी निगरानी करेगी, हालांकि प्रवर्तन के तरीकों पर अभी और जानकारी का इंतजार है. यह नियम अनिवार्य होगा, जो पहले की सलाहकारी दिशा-निर्देशों से अलग है.
भारत का यह कदम वैश्विक ऊर्जा संरक्षण की दिशा में उठाए गए कदमों के अनुरूप है. जापान में एसी का तापमान 28 डिग्री पर, वहीं स्पेन में सार्वजनिक भवनों में 27 डिग्री रखने का नियम है. चीन और इटली जैसे देशों में भी समान नियम हैं. भारत का नियम इनसे अधिक व्यापक है, क्योंकि यह घरों और व्यवसायों दोनों पर लागू होगा. यह नियम छोटा लग सकता है, लेकिन इसके प्रभाव बड़े होंगे. यह बिजली की बचत, कम उत्सर्जन और उपभोक्ताओं के लिए कम बिल सुनिश्चित करेगा. भारत जैसे देश में, जहां गर्मी और शहरीकरण बढ़ रहा है, यह कदम ऊर्जा सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो सकता है. सरकार का यह प्रयास न केवल तकनीकी बदलाव लाएगा, बल्कि लोगों की सोच में भी बदलाव लाएगा, जो एक टिकाऊ भविष्य के लिए जरूरी है.
AC Temperature Rules: केंद्र सरकार ने बिजली और पर्यावरण बचाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाने जा रही है. केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने घोषणा की है कि जल्द ही एसी चलाने के लिए तापमान निर्धारित किया जाएगा. जिसेक बाद कोई भी एसी 20 डिग्री से कम ठंडा या 28 डिग्री से ज्यादा गर्म तापमान नहीं कर पाएगा. यह नियम घरों, दफ्तरों और व्यावसायिक स्थानों पर लागू होगा.
गर्मी के महीनों में बिजली का उपयोग काफी तेजी से बढ़ता है. एयर कंडीशनर, खासकर जब बहुत कम तापमान पर चलाए जाते हैं, बिजली ग्रिड पर भारी दबाव डालते हैं. ऊर्जा दक्षता ब्यूरो के मुताबिक लोगों का 20-21 डिग्री पर सेट करने से जरूरत से ज्यादा ठंडा होता है. जिसकी वजह से बिजली की खपत बढ़ती है और कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्रों से कार्बन उत्सर्जन भी बढ़ता है. इस नए नियम का लक्ष्य बिजली की खपत कम करना, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन घटाना और लोगों में जिम्मेदार ऊर्जा उपयोग की आदत डालना है.
BEE के आंकड़ों के मुताबिक, एसी का तापमान एक डिग्री बढ़ाने से 6% तक बिजली की बचत हो सकती है. यह न केवल आपके बिजली बिल को कम करेगा, बल्कि राष्ट्रीय बिजली ग्रिड पर दबाव भी घटाएगा. डॉक्टरों का कहना है कि 24 से 26 डिग्री का तापमान आपके स्वास्थ के लिए भी सही होता है. इस नियम के तहत, एसी निर्माताओं को अपने उपकरणों को 20 से 28 डिग्री की सीमा के अनुरूप प्रोग्राम करना होगा. मौजूदा एसी के लिए सॉफ्टवेयर अपडेट या नई सेटिंग्स लागू की जा सकती हैं. सरकार इसकी निगरानी करेगी, हालांकि प्रवर्तन के तरीकों पर अभी और जानकारी का इंतजार है. यह नियम अनिवार्य होगा, जो पहले की सलाहकारी दिशा-निर्देशों से अलग है.
भारत का यह कदम वैश्विक ऊर्जा संरक्षण की दिशा में उठाए गए कदमों के अनुरूप है. जापान में एसी का तापमान 28 डिग्री पर, वहीं स्पेन में सार्वजनिक भवनों में 27 डिग्री रखने का नियम है. चीन और इटली जैसे देशों में भी समान नियम हैं. भारत का नियम इनसे अधिक व्यापक है, क्योंकि यह घरों और व्यवसायों दोनों पर लागू होगा. यह नियम छोटा लग सकता है, लेकिन इसके प्रभाव बड़े होंगे. यह बिजली की बचत, कम उत्सर्जन और उपभोक्ताओं के लिए कम बिल सुनिश्चित करेगा. भारत जैसे देश में, जहां गर्मी और शहरीकरण बढ़ रहा है, यह कदम ऊर्जा सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो सकता है. सरकार का यह प्रयास न केवल तकनीकी बदलाव लाएगा, बल्कि लोगों की सोच में भी बदलाव लाएगा, जो एक टिकाऊ भविष्य के लिए जरूरी है.