'राष्ट्र उनके साहस और संघर्ष को कभी नहीं भूल सकता', पीएम मोदी ने सावरकर की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि दी

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने 'एक्स' पोस्ट में लिखा कि वीर सावरकर को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि. ब्रिटिश शासन की यातनाएं भी उनके देशभक्ति के जज्बे को नहीं डिगा सकीं. उनका बलिदान विकसित भारत के लिए मार्गदर्शक है.

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Courtesy: Social Media

PM Modi on Veer Savarkar: विनायक दामोदर सावरकर को वीर सावरकर के नाम से पहचाना जाता हैं. आज उनके जयंती के दिन भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह समेत कई महान व्यक्तियों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी. पीएम मोदी ने  सावरकर को भारत माता का सच्चा सपूत बताया है. उन्होंने कहा कि सावरकर का साहस और बलिदान देश के लिए प्रेरणा है.

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने 'एक्स' पोस्ट में लिखा कि वीर सावरकर को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि. ब्रिटिश शासन की यातनाएं भी उनके देशभक्ति के जज्बे को नहीं डिगा सकीं. उनका बलिदान विकसित भारत के लिए मार्गदर्शक है. मोदी ने कहा कि सावरकर की गाथा को देश कभी नहीं भूलेगा. उनकी प्रतिबद्धता आज भी युवाओं को प्रेरित करती है.

देश के लोगों ने दी श्रद्धांजलि

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी सावरकर को याद किया. उन्होंने 'एक्स' पर लिखा कि सावरकर ने अपना जीवन समाज को एकता के सूत्र में बांधने और अस्पृश्यता को खत्म करने में लगाया. शाह ने कहा कि सावरकर ने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम को अपनी लेखनी से अमर किया. उनकी देशभक्ति और साहस अतुलनीय है. शाह ने कृतज्ञ राष्ट्र की ओर से सावरकर को श्रद्धांजलि दी.

कैसा रहा वीर सावरकर का जीवन?

विनायक दामोदर सावरकर का नासिक, महाराष्ट्र के रहने वाले हैं. वे स्वतंत्रता सेनानी, लेखक, वकील और राजनीतिज्ञ थे. सावरकर ने 'हिंदुत्व' शब्द को गढ़ा, जो हिंदू राष्ट्रवाद की नींव बना. उन्होंने स्कूल के दिनों से ही स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया. पुणे के फर्ग्यूसन कॉलेज में पढ़ाई के दौरान उनकी सक्रियता बढ़ी. वे लंदन में कानून की पढ़ाई के दौरान इंडिया हाउस और फ्री इंडिया सोसाइटी से जुड़े. उनकी किताब 'द इंडियन वॉर ऑफ इंडिपेंडेंस' ने 1857 के विद्रोह को ऐतिहासिक बनाया. हालांकि इस किताब को ब्रिटिश हुकूमत द्वारा प्रतिबंधित कर दिया गया था.

सावरकर को अंडमान की सेलुलर जेल में कठोर यातनाएं दी गईं, लेकिन उनका हौसला नहीं टूटा. सावरकर हिंदू महासभा के प्रमुख नेता थे. उन्होंने हिंदुत्व को बढ़ावा दिया, जिसे हिंदू राष्ट्रवादी विचारधारा का आधार माना जाता है. सावरकर का जीवन देशभक्ति और बलिदान का प्रतीक है. लोकमान्य तिलक से प्रेरित होकर उन्होंने स्वतंत्रता के लिए क्रांतिकारी रास्ता अपनाया. उनकी लेखनी और विचार आज भी राष्ट्रवाद को मजबूत करते हैं. सावरकर की जयंती पर देश उन्हें याद कर उनके योगदान को सम्मान देता है.

PM Modi on Veer Savarkar: विनायक दामोदर सावरकर को वीर सावरकर के नाम से पहचाना जाता हैं. आज उनके जयंती के दिन भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह समेत कई महान व्यक्तियों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी. पीएम मोदी ने  सावरकर को भारत माता का सच्चा सपूत बताया है. उन्होंने कहा कि सावरकर का साहस और बलिदान देश के लिए प्रेरणा है.

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने 'एक्स' पोस्ट में लिखा कि वीर सावरकर को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि. ब्रिटिश शासन की यातनाएं भी उनके देशभक्ति के जज्बे को नहीं डिगा सकीं. उनका बलिदान विकसित भारत के लिए मार्गदर्शक है. मोदी ने कहा कि सावरकर की गाथा को देश कभी नहीं भूलेगा. उनकी प्रतिबद्धता आज भी युवाओं को प्रेरित करती है.

देश के लोगों ने दी श्रद्धांजलि

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी सावरकर को याद किया. उन्होंने 'एक्स' पर लिखा कि सावरकर ने अपना जीवन समाज को एकता के सूत्र में बांधने और अस्पृश्यता को खत्म करने में लगाया. शाह ने कहा कि सावरकर ने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम को अपनी लेखनी से अमर किया. उनकी देशभक्ति और साहस अतुलनीय है. शाह ने कृतज्ञ राष्ट्र की ओर से सावरकर को श्रद्धांजलि दी.

कैसा रहा वीर सावरकर का जीवन?

विनायक दामोदर सावरकर का नासिक, महाराष्ट्र के रहने वाले हैं. वे स्वतंत्रता सेनानी, लेखक, वकील और राजनीतिज्ञ थे. सावरकर ने 'हिंदुत्व' शब्द को गढ़ा, जो हिंदू राष्ट्रवाद की नींव बना. उन्होंने स्कूल के दिनों से ही स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया. पुणे के फर्ग्यूसन कॉलेज में पढ़ाई के दौरान उनकी सक्रियता बढ़ी. वे लंदन में कानून की पढ़ाई के दौरान इंडिया हाउस और फ्री इंडिया सोसाइटी से जुड़े. उनकी किताब 'द इंडियन वॉर ऑफ इंडिपेंडेंस' ने 1857 के विद्रोह को ऐतिहासिक बनाया. हालांकि इस किताब को ब्रिटिश हुकूमत द्वारा प्रतिबंधित कर दिया गया था.

सावरकर को अंडमान की सेलुलर जेल में कठोर यातनाएं दी गईं, लेकिन उनका हौसला नहीं टूटा. सावरकर हिंदू महासभा के प्रमुख नेता थे. उन्होंने हिंदुत्व को बढ़ावा दिया, जिसे हिंदू राष्ट्रवादी विचारधारा का आधार माना जाता है. सावरकर का जीवन देशभक्ति और बलिदान का प्रतीक है. लोकमान्य तिलक से प्रेरित होकर उन्होंने स्वतंत्रता के लिए क्रांतिकारी रास्ता अपनाया. उनकी लेखनी और विचार आज भी राष्ट्रवाद को मजबूत करते हैं. सावरकर की जयंती पर देश उन्हें याद कर उनके योगदान को सम्मान देता है.

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